"मैं शक्ति का अवतार हूँ ' , "माहिलायें किसी एक विशेष दिवस की मोहताज नहीं"

 "मैं समाज का श्रृंगार हूँ ",  " संस्कारों का प्रकाश हूँ " ममता    का द्वॉर हूँ ", "मैं सशक्त शक्ति का अवतार हूँ"

माहिलायें किसी एक दिवस की मोहताज़ नहीं, महिला दिवस तो हर रोज़ होता है कोई माने या ना माने ।

"बेटियाँ" प्रारम्भ यहाँ से होता है । बेटियाँ बचेंगी तभी तो समाज  की प्रग्रति होगी । 
आप ही बताइये क्या बेटियों के बिना समाज की उन्नति सम्भव है ? नहीं बिलकुल नहीं अगर बेटे कुलदीपक हैं ,तो बेटीयाँ कुलदेवीयां है । बेटियों के बिना कुलदीपक प्रकाशित होना असंभव है ।
बेटियाँ समाज की नींव है । और नींव का मजबूत होना अति आवयशक है ।क्योंकि यही बेटियां समाज को सवाँरती है।
यही बेटियाँ एक महिला के रूप में ,एक माँ के रूप मे सशक्त  समाज की स्थापना करती है । इस लिये महिलाओं को सुशिक्षा से कभी दूर नहीं रखना चाहिये ,क्योंकि कल यह ही महिलायें पलना के रूप में ,अपनी शिक्षा से आने वाली पीढ़ी को सुसंस्कृत और एक सुसभ्य समाज का  निर्माण करने में योगदान करेंगी ।
यूँ तो आज महिलायें हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा चुकी हैं ,और वो कोरी तारीफों की मोहताज़ नहीं ।
हमारी संस्कृति भी इस बात का प्रमाण देती हैं ,कि नारी का स्थान हमेशा से ऊँचा और पूजनीय है ।
अंग्रेजों की गुलामी के काल से विवशता वश बढ़ते अपराध के कारण महिलाओं पर बहुत  अत्याचार हुये ।परन्तु आज देश आज़ाद है ,गुलामी की बेड़ियां खुल चुकी है इस स्वन्त्रता में भी महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा , रानी लक्ष्मी इसका बहुत बड़ा उदाहरण है ।
आज के आधुनिक युग में महिलाओं के बढ़ते क़दम आसमान की ऊँचाइयाँ छू रही है । सुनीता विलियम जो अंतरिक्ष जा के आ चुकी है । कल्पना चावला ,विज्ञान के क्षेत्र में महिलायें बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं। 
आज एक महिला, डॉक्टर, इंजीनयर, अध्यापिका, लेखक, नेता, अन्य कई क्षेत्रों में निरन्तर अग्रसर हैं, और तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ रही हैं । 

💐इस होली लायी हूँ" मैं" इन्सानियत के रंग💐


 रंगों के इस मौसम में ,कुछ रंग मैं भी लायी हूँ।
  फाल्गुनी बहार में ,कुछ रंग मीठास के लायी हूँ" मैं "

  धरती की हरियाली भी है, आसमानी नीला भी है ,
   इंद्रधनुषी रंगों की सतरंगी फुहार लायी हूँ" मैं"

    इंसानियत के रंग में रंगने आज सबको आयी हूँ,"मैं"
    निस्वार्थ प्रेम की मीठी मिश्री सबको खिलाने आयी हूँ "मैं"
 
     ईर्ष्या,द्वेष, के भद्दे रंगों को सदा के लिए  मिटाने आयी हूँ          इस होली इंसानियत के रंग लायी हूँ "मैं"
   
      पुष्पों के मौसम में ,दिलों को  प्रफुल्लित करने आयी हूँ           "मै"
       सब धर्मों से ऊपर उठकर, इनसानियत का धर्म निभाने          आयी हूँ "मैं",होली के त्यौहार में कुछ रंग प्रेम के लायी हूँ         "मैं  "   निर्मल मन से,स्वच्छता के रंगों की बरसात करने          आयी हूँ " मैं" स्वच्छ्ता के हर रंग में रंगने आयी हूँ "मैं"

💐💐मोहब्बतों का दिया 💐

💐💐मोहब्बतों का दिया 💐💐

मोहब्बतों के दिये जला कर ,रोशन कर रहा हूँ संसार
नफरतों की आँधियों से मेरी लौ डग मगा रही है
मैं हर बार आँधियों से मोहब्बतों की लौ बचा लेता हूँ।

बुझने नहीं देता मैं दिया मोहब्बत का
दिन पर दिन बड़ रहा है, मेरा प्यारा सा कारोबार ।

एक लौ से दूसरी लौ जल रही है अब चल पड़ी है
मोहब्बत की फुहार ,अपनत्व के रंग में रंगा है संसार।
मेरे खाव्बों की कश्ती ,में सपनों की बहार ।

हर सपना बन के आया उपहार
मेरे सपनों का संसार ,मोहब्बतों के उपहार
कर रहा हूँ आजकल मैं मोहब्बतों का इकरार
मेरा आशीयाना की बात ही निराली है,
यहाँ हर दिन है ,होली, दीपावली ।

👍कुछ तो विशेषता अवश्य है, माननीय प्रधानमंत्री ,मोदी जी मे👍


   हमारे देश के माननीय, प्रधानमंत्री में कुछ तो विशेषता          अवश्य है।
    
     माननीय प्रधानमंत्री ,मोदी जी जब भाषण देते है , तो ऐसा लगता है की वो जो भी बोल रहे हैं, दिल की गहराइयों से बोल रहे हैं। और उनके द्वारा कही गयी बात सीधा मन मस्तिक्ष पर असर करती है ,ऐसा लगता है जैसे वो हमारे ही दिल की बात कह रहे हों । 
कभी -कभी तो मुझे लगता है ,कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के पास कोई.......
       1. जादुई शक्ति है, 
         2.वह शक्ति ,क्या वाकई ,सच्चाई की है,
                              3. ईमानदार देशभक्त की है।
                              4. कहीं वो कोई जादूगर तो नहीं या                                    5. उन्हें कोई सम्मोहन विद्या तो नहीं आती।
 या फिर वो वास्तव में एक 6.निस्वार्थी, कर्मठ, नेता हैं 
                                 
 

  देश , प्रदेश,  नेता और राजनीति ।
 👍जिस प्रकार हमारे परिवार के मुखिया अगर निष् पक्ष छवि वाला हो तो  , हो तो वह परिवार नि सन्देह तरककी करता है।

 उसी तरह अगर देश के नेता स्वार्थवाद से ऊपर उठकर देश हित में ही अपना सहयोग देंते तो देश की उन्नति अवश्य होती है और देश तरक्कि की सीढ़िया अवश्य चढ़ता है ।

चुनाव से पहले नेताओं के भाषण, सुनते ही बनते हैं नया जोश नई उमंग ,बड़े-बड़े वादे, हम अपने प्रदेश के लिये ये करे -गे वो करेंगे इतने साल देश का बुरा हाल ,आप अमुक नेता को चुनिये तब देखिये देश सुधर जाएगा अब दूर होगा भ्रष्टाचार ,गरीबों के लिये घर  अब कोई युवा बेरोजगार नहीं होगा जाने और क्या क्या बड़े-बड़े वादे ........😊😊

चुनाव से पहले हाथ जोड़कर एक -एक वोट की भीख मांगी जाती है ।
चुनाव के बाद जब कोई भी नेता जीत जाता है, तो उसके तो दोनो हाथ घी में...........और वोटर बन जाते हैं भीगी बिल्ली 😢😢
अब बेचारे वोटर बस इस इंतजार में फिर से पूरे पाँच साल बीता देते हैं कि नेता जी कब हमारी मागें पूरी करेगें ,कब हमारे प्रदेश, और देश का विकास होगा ।

नेता बनना कोई साधारण काम नहीं है ,बहुत जिम्मेवारी का काम है जी नेता बनना ,नेता लोग नेता गिरी को स्वार्थ वाद से ऊपर उठकर देखें । सिर्फ अपनी तिजोरियाँ भरना ही उद्देश्य पूर्ति नहीं होना चाहिए।
 तरह परिवार को पालना कोई साधारण काम नहीं ,परिवार के मुखिया का निष्पक्ष होना अति आवयशक है ,जो निस्वार्थ भाव से सब फैसलें ले सके ।
ऐसे ही नेता भी होने चाहिये , आज हमारे देश का प्रधानमंत्री हो या किसी प्रदेश का का मंत्री अथार्थ मुखिया ।
 और मुखिया की छवि स्पष्ट होंनी चाहिये , जो अपने हित से से ऊपर उठकर अपनी प्रजा के हित के बारे में सोचता हो ,और देश की उन्रती पर ही जिसका संपूण ध्यान केंद्रित हो, और ध्येय हो।

👍 दौड़ 👍



आधूनिकता की दौड़ में मैं पीछे रह गया
संस्कार बिक रहे थे, मैं ना बिका पिछड़ा रह गया

ना नाम कमाने का शौक है
ना दाम कमाने का शौक है।

मन में जो संकल्प आते हैं
उन्हें पूरा कर गुजरने का जनून है।

जीवन सफ़ल हो अपना
बस छोटा सा सपना है अपना।

सपने कब हुए अपने हैं
नीँद ख़ुली तो टूट गये जो सपने थे।

जागती आँखों से जो देखे थे जो सपने
कर्मों की खेती से लहलहाने लगे वो सपने।

मेरा कहाँ वजूत इतना की मैं कुछ कर जाऊं
ऊप र वाला जो कराता है ,मैं वो करता रहता हूँ ।
           💐 शिवरात्रि💐
   💐 देवों के देव महादेव 💐

 शिव की महिमा अनन्त है। शिव अनादि है ,शिव वो महान दिव्य शक्ति है ,जिसके हम सब अंश है  । भोलेनाथ ,शिव ही हैं जिन्होंने संसार को जहरीले विष से होने वाले विनाश से बचाने के लिये विष को स्वयं के कंठ में धारण कर लिया था ।संसार के समस्त जहरीले जीव ,पदार्थ ,परमात्मा शिव ने स्वयं में समाहित किये, संसार कल्याणार्थ ।
 परमात्मा को हम मनुष्यों से कुछ नहीं चाहिए। वो तो स्वयं दाता है। उसी से लेकर उसे देना ......
वो दिव्य प्रकाश जो कई करोड़ सूर्यों के प्रकाश से भी कई अधिक गुना प्रकाश से परिपूर्ण है ,वो दिव्य अलौकिक शक्ति है "शिव महादेव"
ब्रह्मा, विष्णु, महेश , ब्रह्मा जी से संसार की उत्पत्ति हुई ,भगवान विष्णु उस संसार की पालना करते हैं । और हमारे समाज में ये धारणा है कि जब-जब धरती पर पाप कर्म अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाते हैं ,तब-तब भगवान शंकर अपना तीसरा नेत्र खोलते हैं  प्रलय आती है और पाप कर्मो का अंत होता है। यह मान्यता गलत भी नहीं है ।
शिवरात्रि के दिन कुछ लोग उपवास भी रखते है, शिवजी को प्रसन्न करने के लिये शिवलिंग पर भेलपत्री, पुष्प ,भांग, धतूरा ,फल फूल इत्यादि से जलाभिषेक,दुग्धाभिषेक भी किया जाता है।
हिन्दू धर्म की बहुत अच्छी बात है , कि यहाँ समय -समय पर व्रत, नियम, त्यौहार आदि के प्रारूप में बहुत से अनुष्ठान किये जाते हैं । पर इन व्रत नियमों का वास्तविक स्वरूप अब हम भूलते चले जा रहे हैं,और भेड़ चाल की तरह अपनी -अपनी स्वार्थ सिद्धि हेतु परमात्मा को खुश करने के लिए बिना सोचे-समझे बस कर्म कर रहे हैं ,मान्यता है कि  शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से शिवजी प्रसन्न होते है और हम नासमझी में न जाने कितने सैकड़ों लीटर दूध यूँ ही बहा देते हैं हम सोचते हैं कि भगवान खुश हो रहा है । वहीं मन्दिर के बहार खड़े किसी मजदूर के या गरीब भूखे बच्चे को दूध पिलाने में या उसे फल खिलाने में हम कहते हैं कि हमारे पास फालतू के पैसे नहीं है । अरे वही दूध ,फल और मन्दिर में  चढ़ाने वाले पैसों को अगर हम निसहाय जरुरतमंद के सहायता में लगा दे तो,  शायद हमारा भगवान बहुत खुश होगा ।क्योंकि हर आत्मा में परमात्मा है,हम सब उसी परमात्मा की किरणें हैं  ।
ये मन्दिर, देवालय,हमारे ईष्ट भगवानों की प्रतिमाएं इस बात का प्रमाण हैं कि हमारे भागवान ऐसे दिव्य अलौकिक तेजोमय स्वरूप वाले थे । मैं परम्पराओं के ख़िलाफ़ बिलकुल नहीं हूँ पर इन परम्पराओं के पीछे छिपे रहस्यों को जानिये ।
चलिये इस शिवरात्रि भगवान शंकर के दर्शन करने हम पूर्ण श्रद्धा भाव से मन्दिर जायेंगे ,पूर्ण श्रद्धा से नमन करते हुए हम स्वयम को परमात्मा के द्वारा प्राप्त सेवा में लगायेंगे ।श्रद्धा के पुष्प चढ़ायेंगे, पूर्णरूपेण निष्ठा से स्वयं को उसकी आज्ञा में समर्पित कर शुभ कर्मों का नित प्रति दिन अभिषेक करेंगे । दान दक्षिणा का सेवा कार्यो में समर्पित करेंगे।
चलो इस शिवरात्रि प्रण लेते हैं, कि हम गरीब ,निसहाय बच्चों को भोजन करायेंगे दूध पिलायेंगे फल खिलायेंगे ,यकीन मानिये आपके भगवान भोले नाथ बहुत प्रसन्न होंगे ,और वहीं किसी बच्चों की पंक्ति में वह स्वयं किसी बच्चे के रूप में आपका दिया दूध ,फल इत्यादि दिल से स्वीकार करेंगे ।
और आपको निहाल करेंगे ।

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...