Ritu Asooja Rishikesh , जीते तो सभी है , पर जीवन वह सफल जो किसी के काम आ सके । जीवन का कोई मकसद होना जरूरी था ।परिस्थितियों और अपनी सीमाओं के अंदर रहते हुए ,कुछ करना था जो मेरे और मेरे समाज के लिए हितकर हो । साहित्य के प्रति रुचि होने के कारण ,परमात्मा की प्रेरणा से लिखना शुरू किया ,कुछ लेख ,समाचार पत्रों में भी छपे । मेरे एक मित्र ने मेरे लिखने के शौंक को देखकर ,इंटरनेट पर मेरा ब्लॉग बना दिया ,और कहा अब इस पर लिखो ,मेरे लिखने के शौंक को तो मानों पंख लग
कवारनटाईन का उद्देश्य
राघव:- वनवास जैसा ही तो है।
राघव :- चौदह दिन के लिए कवारनटाइन हूं , कैसे बीतेंगे चौदह दिन .....
सिया :- राघव , तुम्हें तो सिर्फ चौदह दिन के लिए अलग रहना है तो तुम्हें इतनी परेशानी हो रही है । श्री राम सीता लक्ष्मण जो एक राजा की संतान थे ,राजमहल में रहते हुए समसत सुख सुविधायेओं के बीच जीवन यापन कर रहे थे , उन्होंने राजमहल के समस्त सुख वैभव को पल में त्यागकर वनवास में आने वाली कठिनाई यों के बारे में तनिक भी ना सोचते हुए सहर्ष चौदह साल का वनवास स्वीकार किया था।
राघव :- वो सतयुग था ,और सतयुग की बात अलग थी , मैं साधारण मानव हूं ।
सिया: - राघव तुम्हें अलग तो रहना पड़ेगा , तुम्हारे तन के अन्दर वाईरस रुपी ने प्रवेश कर लिया है ,और तुम्हारे जैसे अनगिनत लोगों के शरीरों में यह वाइरस रूपी राक्षस प्रवेश करके तबाही मचा चुका है और कई लोगों को तो मौत के घाट उतार चुका है ।
अब तुम क्या चाहते हो , तुम्हारे से यह वाइरस रुपी राक्षस और बचे स्वस्थ लोगों के शरीरों में घुस कर तबाही मचा दे।
राघव;- अरे नहीं -नहीं जैसे राम ,सिया,लक्ष्मण के वनवास के पीछे कई विषेश कार्यों को सम्पन्न करना था । ऐसे ही हमें भी इस कवारनटाईन काल में कुछ अधूरे कार्य पूर्ण करने होंगे ।
वाईरस रुपी शत्रु राक्षस से बचना है ,और अपने परिवार को समाज को बचाना है ..... जिसके लिए हमें बहुत कुछ सीखना होगा तैयारी मां करनी होगी
1,कवारनटाईन के बहाने समय मिला है , स्वयं के ऊपर कार्य करने का.... भागती दौड़ती जिंदगी में फुर्सत का जो समय मिला है ,उसका सदुपयोग किजिए ।
चिकित्सकों द्वारा बताई गई दवाईयों का यथासमय सेवन कीजिए ।
व्यायाम और योगाभ्यास को अपनी दिनचर्या में शामिल कीजिए ।
समय मिला है स्वयं के सुधार का ध्यान योग का अभ्यास कीजिए ।
एक बात तो अवश्य समझ आई होगी स्वास्थ्य धन से बढ़ा कोई धन नहीं , स्वास्थ्य ठीक रहेगा तभी संसार के समस्त सुख अच्छे लगते है ।
1,वाइरस रूपी राक्षस अन्य स्वस्थ लोगों के शरीरों में ना प्रवेश करें इस के लिए कवारनटाइन रूप वनवास को स्वीकार कर अलग रहना होगा ।
2.वाइरस रुपी राक्षस को मारने के लिए मास्क की ढाल सदैव धारण करें ।
3.हाथों को बार बार धोयें , सेनेटाइज करें अनावश्यक रूप से इधर उधर ना छुएं
4, अनावश्यक रूप से घर से बाहर ना निकले जरूरी सामान लाना है तो घर का एक ही सदस्य एक बार में सारा सामान ले आये।
राम जी के वनवास का उद्देश्य था राक्षसों का अंत रावण जैसे महाज्ञानी , किन्तु अहंकारी राक्षस को मारकर पृथ्वी में रामराज्य स्थापित करना ।
हमसाया
हमसाया हम सब मां का
मां का प्यार कड़वी औषधि
का सार, खट्टा मीठा सा
प्यारा एहसास
मां की कृति हम सब
मां की आकृति हम सब
मां ने हमें आकार दिया
ज्ञान संस्कारों का वरदान दिया
मां ने हमें तराश -तराश कर सभ्य
सुसंस्कृत जीवन जीने का अधिकार दिया
मां ने ही हमें बनाया, मां ने हमें संवारा
मां ने हमें संसार में रहने को
बल, बुद्धिि, विवेक, धैर्य की संजीवनी के
अमृत का रस पान दिया , मां ने हमें बनाया
मां का ही हम सब हमसाया
पिता विशाल कल्पवृक्ष
जड़ों की मजबूती का साया ।।
मां की महिमा का क्या बखान करूं
एसी कोई जगह नहीं जहां नहीं होती
पसंद
कोई मुझे पसंद करें
यह मेरी चाह नहीं
मेरे द्वारा किए कर्म
मुझे मेरी पहचान दिलाने
मैं कामयाब होते हैं तो मेरा
जीवन सार्थक है ।।
परवाह
काम बस इतना करना है
थोड़ा सम्भल कर चलना है
सतर्कता को अपनाना है
सुरक्षा अपनी और अपनों की
करनी है, जिम्मेदारी यह
हम सबको निभानी है
दिखावे की छुट्टी करनी है
परवाह जो अपनों की करते हो
सुरक्षा नियमों का पालन करो
कुछ समय दूर से ही सगे संबंधियों
और मित्रों से मिलों , महफिलें फिर से
जम जायेंगी , ज़िन्दगी रहेगी तो रिश्तों
की डोरियां फिर से तीज त्यौहारों में एक
हो जायेंगी रौनकें बहार लौट आयेंगी ।
खुशहाली लौट आयेगी
व्यवस्था में सुधार चल रहा है
उथल-पुथल तो होगी ही
अस्त -व्यस्त हो रखा है सब कुछ
उसे सुव्यवस्थित करने की
प्रक्रिया चल रही है
स्वच्छता अभियान चल रहा है
धूल तो उड़ेगी ही ,एकत्रित हुआ
जहरीला वाईरस गंदगी के रूप में
फैल रहा है , जैसे ही गन्दगी का वाईरस
समाप्त हो जायेगा फिर से धरा मुस्करायेगी
धरती हरी -भरी समृद्ध हो जायेगी
प्राण वायु फिर से लौट आयेगी फिर ना
दम घुटने से ना किसी की जिंदगी जायेगी
धरती पर खुशहाली लौट आयेगी ।
व्यवस्था में सुधार चल रहा है
उथल-पुथल तो होगी ही
अस्त -व्यस्त हो रखा है सब कुछ
उसे सुव्यवस्थित करने की
प्रक्रिया चल रही है
सुधार का समय चल रहा है
बिगड़े हुए हालातों को काबू
में लाने की प्रक्रिया में त्रुटियों
के लेखा-जोखा का स दक्ष श श्र
गलतियों की होगीं जो सबने
उनके पश्चाताप का समय चल
रहा है
राम भजो आराम मिलेगा
हे राम,एक बार फिर
कहो फिर हनुमान जी से
संजीवनी पर्वत ले आओ
राम भक्तों की व्याधियां दूर कर जाओ
राम भजो आराम मिलेगा
संतुष्टि का वरदान मिलेगा
भटके हुए प्राणियों को सही
राह मिलेगी, सोचने -समझने की
शक्ति मिलेगी,पापों से मुक्ति मिलेगी
पवनपुत्र परम भक्त सियाराम की
भक्ति में तल्लीन रहते राम काज
करने को आतुर विद्यावान गुणी
अति चातुर पवनपुत्र संकट हरते
जीवन में सब मंगल करते ।
हे पवनपुत्र ,जहरीले जीवाणुओं
का वायु मंडल में प्रवेश होकर
प्राणियों पर प्राण घातक हमला
हो रहा है , त्राहि-त्राहि कर जग
रो रहा है। हे संकटमोचन,
संजीवनी बूटी फिर से लानी
पड़ेगी मानवता की लाज
बचानी पड़ेगी ।
दिव्य शक्ति स्वरूपा के उपासक
आप ही धरा पर मानवता के रक्षक ।।
आओ अच्छा बस अच्छा सोचें
आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...
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इंसान होना भी कहां आसान है कभी अपने कभी अपनों के लिए रहता परेशान है मन में भावनाओं का उठता तूफान है कशमकश रहती सुबह-शाम है ब...
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*ए चाॅंद* कुछ तो विषेश है तुममें जिसने देखा अपना रब देखा तुममें ए चाॅद तुम तो एक हो तुम्हें चाहने वालों ने जाने क्यों अलग-अलग किया खुद ...
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रास्ते भी क्या खूब हैं निकल पड़ो चल पड़ो मंजिलों की तलाश में किसी सफर पर रास्ते बनते जाते हैं रास्ते चलना सिखाते हैं,गिरना-समभलना फिर उ...