हे राम,एक बार फिर
कहो फिर हनुमान जी से
संजीवनी पर्वत ले आओ
राम भक्तों की व्याधियां दूर कर जाओ
राम भजो आराम मिलेगा
संतुष्टि का वरदान मिलेगा
भटके हुए प्राणियों को सही
राह मिलेगी, सोचने -समझने की
शक्ति मिलेगी,पापों से मुक्ति मिलेगी
पवनपुत्र परम भक्त सियाराम की
भक्ति में तल्लीन रहते राम काज
करने को आतुर विद्यावान गुणी
अति चातुर पवनपुत्र संकट हरते
जीवन में सब मंगल करते ।
हे पवनपुत्र ,जहरीले जीवाणुओं
का वायु मंडल में प्रवेश होकर
प्राणियों पर प्राण घातक हमला
हो रहा है , त्राहि-त्राहि कर जग
रो रहा है। हे संकटमोचन,
संजीवनी बूटी फिर से लानी
पड़ेगी मानवता की लाज
बचानी पड़ेगी ।
दिव्य शक्ति स्वरूपा के उपासक
आप ही धरा पर मानवता के रक्षक ।।
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