मासूमियत उसके चेहरे से छलक रही थी ,धूल से लतपत से कपड़े पैरों में चप्पल भी नहीं , फिर वो बालक अपनी और आकर्षित कर रहा था ,ना जाने क्यों मन कर रहा था इसे अपने पास बिठाकर बहुत कुछ समझाऊं ।
उस नन्हे बालक की भोली निगाहें कभी सामने बनी शानदार बंगलों को निहार रही थी कभी पास में खड़ी मंहगी गाड़ीयों को निहार रही थीं ।
वो नन्हा बालक पास में खड़ी मंहगी लम्बी गाड़ी को ऐसे हाथ लगा कर देख रहा था मानो वह कोई सपना देख रहा हो ,और सोच रहा हो एक दिन बड़ होकर मैं भी शायद ऐसी गाड़ी लूं और उसमें बैठकर दूर घूमने निकलूं ।
तभी सामने के बड़े से घर से एक आदमी निकला और उस छोटे बच्चे को दूर से गुस्सा दिखाते हुए अरे हट जा सारी गाड़ी पर निशान बना दिए ,कभी देखी है ऐसी गाड़ी । वह बच्चा डर के गाड़ी से दूर हट गया ।
थोड़ी देर बाद वह बच्चा हिम्मत करके उस गाड़ी वाले आदमी के पास आकर पूछ बैठा अंकल यह गाड़ी कितने की है ,वह आदमी पहले तो उस बच्चे की बात सुनकर जो र के हंसा... और फिर बोला क्या करेगा ,अंकल बड़ा होकर एसी गाड़ी खरीदूंगा ।