लेखक और लिखना

लेखक के मन दर्पण में

 विचारों रूपी  भाव 

जब प्रेरणा के रंग भरते हैं 

तब एक लेखक कुछ ज्ञानवर्धक कुछ प्रेरणास्पद 

कुछ सामाजिक ,कुछ मनोरंजक रंगों के सामांजसय से 

लिखकर समाज को एक अनमोल भेंट देता है ।


लेखक एक निर्दशक 

एक विचारक एक दार्शनिक

एक मनोरंजक भी होता है 

लेखक समाज का वो आईना होता है 

जिसमें स्वयं की पारदर्शिता होती है 

लेखक एक जौहरी की भांति 

विचारों को शब्दों को‌ भावों को 

तराशता है फिर संवारता है 

और फिर रसों की अनुभूति से 

एक संकलन तैयार करता‌ 

जो प्रेरणास्रोत बन समाज को 

युगों-युगों तक प्रेरित करता रहता है ‌।



भावों का सुन्दर होना  

स्वस्थ मानसिकता

 मां शारदे का आशीर्वाद 

दार्शनिक विचार

सभ्य सुन्दर सुसंस्कृत समाज हित में 

जो वर्तमान एवं आने वाले 

समाज के लिए प्रेरणा स्रोत 

हो लिखना पड़ता है ।

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