वतन की मिट्टी से जब शहीदों के शौर्य की खुशबु आती है ,
आँख नाम हो जाती है ,जुबाँ गुनगुनाती है ,
वन्दे मातरम् ,वंदे मातरम् ,सारे जाहाँ से अच्छा दिन्दुस्तान हमारा ,
माँ सी ममता मिलती है ,रोम रोम प्रफुल्लित हो जाता
जब भारत को भारत माँ कह के बुलाता हूँ
भिभिन्न परम्परा में रंगा हुआ हूँ ,पर जब जब देश पर विपत्ति आती
एक रंग में रंग जाता हूँ ,
हिंदुत्व की पहचान ,हिंदी हमारी मात्र भाषा ,हिंदी में जो बिंदी है,
वह भारत माता के माथे का श्रृंगार,बिंदी की परम्परा वाला मेरे देश की
विशव में है विशिष्ट पहचान ,प्रगर्ति की सीढ़ियाँ चढ़ता
उन्नति के शिखर को छूता, मेरा भारत महान
भारत माँ की छाती चौड़ी हो जाती ,जब शून्य डिग्री पर
खड़े सिपाही बन देश का रक्षा प्रहरी भारत माँ की खातिर
मर मिटने को अपने प्राणों की बलि चढ़ाये
नाज है, मुझे सवयं पर जो मैंने भारत की धरती पर जन्म लिया
जीवन मेरा सफल होगा ,हिदुस्तान में फिर से राम राज्य.होगा
हिदुस्तान फिर से सोने की चिड़िया कहलायेगा।
इतना पावन है ,देश मेरा यहां नदियों में अमृत.बहता है ,
इंसान तो क्या पत्थर भी पूजा जाता है ।