"क्योंकि वह दूर की सोचते थे"
माना कि,आज के युग मैं सीधे -सरल लोगो को दुनियाँ मूर्ख समझती है,या यूं कहिए कि ऐसे लोग ज्यादा बुधिमान लोगो कि श्रेणी मैं नहीं आते। परन्तु वास्तव मैं वे साधारण लोगो कि तुलना में अधिक बुद्धिमान होते है क्योंकि वह दूर कि सोचते है। भारतीय पौराणिक इतिहास मैं सच्ची घटनाओ पर आधारित कई ऐसे महाकाव्य है,उन महाकाव्य में महान व्यक्तियो जीवन चरित्र किसी भी विकट परिस्थिति मैं सत्य और धर्म कि राह को न छोड़ने वाले जीवन चरित्र अदभुद अतुलनीय अमिट छाप छोड़ते है।
रामायण ,महाभारत उन्ही महाकाव्यों में से एक हैं। यह सिर्फ महाकाव्य ही नहीं परन्तु आदर्श जीवन कि अनमोल सम्पदाएँ हैं।
मर्यादा पुरोषत्तम ''श्री राम '' प्राण जाए पर वचन न जाए।
क्या रावण जैसे महादैत्य को मारने वाले श्री राम कभी कमजोर हो सकते हैं। राम जी चाहते तो चौदह वर्ष के लिए वनवास जाने के लिए इंकार कर सकते थे। परन्तु वो तो थे मर्यादा पुरोषत्तम श्री राम ' अनेको कठिनाइयों का सामना करने क बाद जीत तो सत्य और धर्म की ही हुई, अधर्म रुपी रावण मारा गया।
दूसरा महा काव्य "महाभारत" जो आज के युग में जन -जन के जीवन का यथार्थ बन चूकाहै। धर्म और अधर्म की जंग में "श्री कृष्णा " - अर्जुन के सारथी बने , द्रोपदी की लाज बचाई , और अंत में जीत धर्म की हुई।
आज की पीढ़ी का मनोबल बोहोत कमज़ोर है जिसके कारण वह धर्म से भटक जाती है। उन्हें आव्यशकता है संयम की , संयम जो हमें श्री कृष्ण , श्री राम , ध्रुव , प्रह्लाद आदि महान चरित्रों के जीवन चरित्रों को बार-बार चरित्रार्थ करने से मिलेगा। जब धरती पर अधर्म बड़ जाता है धर्म की हानि होती है मनुष्य में दिव्य शक्तियों का ह्रास होता है तब धर्म रुपी दिव्य शक्तियाँ धरती पर अवतरित होती है।
सत्य और धर्म की राहें चाहें कितनी भी बाधाओं से भरी हों परन्तु अंत में जीत सत्य और धर्म की ही होती है। वह जीत चिरस्थाई होती है।
आज का मानव वर्तमान में जीता है। प्रतिस्पर्द्धा की दौड़ में दौड़े जा रहा है। कल क्या होगा किसने देखा। दूर की सोचना तो आज मानव भूल ही गया है। उसमे दूर दर्शिता का रास होता जा रहा है।
{ - कहते है न देर आये दुरुस्त आये -३ }
सीधा,सरल और सच्चा रास्ता थोडा लम्बा और कठिनाइयों भरा अवश्य हो सकता है,परन्तु इसके बाद जो सफलता मिलती है,वह चिर स्थाई होती है।यह विषय मेरा पसंदीदा विषय है।माना कि,आज के युग मैं सीधे -सरल लोगो को दुनियाँ मूर्ख समझती है,या यूं कहिए कि ऐसे लोग ज्यादा बुधिमान लोगो कि श्रेणी मैं नहीं आते। परन्तु वास्तव मैं वे साधारण लोगो कि तुलना में अधिक बुद्धिमान होते है क्योंकि वह दूर कि सोचते है। भारतीय पौराणिक इतिहास मैं सच्ची घटनाओ पर आधारित कई ऐसे महाकाव्य है,उन महाकाव्य में महान व्यक्तियो जीवन चरित्र किसी भी विकट परिस्थिति मैं सत्य और धर्म कि राह को न छोड़ने वाले जीवन चरित्र अदभुद अतुलनीय अमिट छाप छोड़ते है।
रामायण ,महाभारत उन्ही महाकाव्यों में से एक हैं। यह सिर्फ महाकाव्य ही नहीं परन्तु आदर्श जीवन कि अनमोल सम्पदाएँ हैं।
मर्यादा पुरोषत्तम ''श्री राम '' प्राण जाए पर वचन न जाए।
क्या रावण जैसे महादैत्य को मारने वाले श्री राम कभी कमजोर हो सकते हैं। राम जी चाहते तो चौदह वर्ष के लिए वनवास जाने के लिए इंकार कर सकते थे। परन्तु वो तो थे मर्यादा पुरोषत्तम श्री राम ' अनेको कठिनाइयों का सामना करने क बाद जीत तो सत्य और धर्म की ही हुई, अधर्म रुपी रावण मारा गया।
दूसरा महा काव्य "महाभारत" जो आज के युग में जन -जन के जीवन का यथार्थ बन चूकाहै। धर्म और अधर्म की जंग में "श्री कृष्णा " - अर्जुन के सारथी बने , द्रोपदी की लाज बचाई , और अंत में जीत धर्म की हुई।
आज की पीढ़ी का मनोबल बोहोत कमज़ोर है जिसके कारण वह धर्म से भटक जाती है। उन्हें आव्यशकता है संयम की , संयम जो हमें श्री कृष्ण , श्री राम , ध्रुव , प्रह्लाद आदि महान चरित्रों के जीवन चरित्रों को बार-बार चरित्रार्थ करने से मिलेगा। जब धरती पर अधर्म बड़ जाता है धर्म की हानि होती है मनुष्य में दिव्य शक्तियों का ह्रास होता है तब धर्म रुपी दिव्य शक्तियाँ धरती पर अवतरित होती है।
सत्य और धर्म की राहें चाहें कितनी भी बाधाओं से भरी हों परन्तु अंत में जीत सत्य और धर्म की ही होती है। वह जीत चिरस्थाई होती है।
आज का मानव वर्तमान में जीता है। प्रतिस्पर्द्धा की दौड़ में दौड़े जा रहा है। कल क्या होगा किसने देखा। दूर की सोचना तो आज मानव भूल ही गया है। उसमे दूर दर्शिता का रास होता जा रहा है।