''चुनाव नेताओं का ''
ज्यों परिक्षा से पहले की मेहनत अधिक रंग लाती है ,
त्यों चुनाव से पहले की मेहनत अधिक रंग लाती है।
चुनाव से पहले हर एक नेता देशभक्त नज़र आता है।
खिले -खिले मुस्कराते चेहरे ,बड़े- बड़े वादे ,सर्वांगीण
विकास ,सबको सामान अधिकार ,मनोवांछित फल ,
का आश्वासन देते , नेता भी देवता नज़र आते हैं।
एक -एक वोटर को चुनकर अपने हक़ में करना है ,
क्योंकि चुनाव से पहले की मेहनत काम आती है।
बेचारी जनता हर बार धोखा खा जाती है ,
जो जनता चुनाव से पहले नेताओं का सहारा होती है ,
वही जनता नेताओँ को राजनीती कि कुर्सी मिल जाने पर ,
सवयं बेसहारा हो जाती है।
चुनाव आते हैं 'जाते हैं ,सिलसिला चलता रहता है
नेताओं कि तरक्की होती है,जनता वहीँ कि वहीँ रह जाती है।
जंहाँ जीत के जश्न में नेताओ को मिलती है दिली ख़ुशी,
वंही जनता की बन जाती है भीगी-बिल्ली।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें