प्रकृति स्वयंमेव एक
अद्भुत चित्रकार
दिनकर सुनहरी किरणों का
अद्वितीय संसार सृष्टि पर जीवन
का आधार दिनकर रहित जीवन
निराकार , निर्थक , अकल्पनीय
सूर्यदव सत्य सारस्वत सृष्टि निर्माणाधीन
सृष्टि आज उर्जा चमत्कार
हम सृष्टि के रखवाले
जैसा चाहे वैसा बना ले
विचारों से मिलता आधार
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दस्तक एक आहट
गहरे समुद्र वृहद संसार
रत्न ,मणियों का अनन्त भण्डार
दिल स्पंदन लहरें उमड़े
शब्द ध्वनि वाक्य आकार
काव्य का आधार
प्रेरणा बन उपजे
खोले आत्मा द्वार
श्रवण द्वार आवाज
अदृश्य पदचाप
आंगन बीच पदचिन्ह छोड़े
दिव्य अद्वितीय कृतियों के
आकार सभ्य अद्वितीय आकार
सुन्दर सुसंस्कृत सभ्य संसार
थामे एक डोर
जीवन की बागडोर
एक छोर से दूजे छोर
नव पल्लवों के सुकोमल
अंकुर नव चेतना के नव रुप
सुख समृद्धि से भरपूर।
फिर बही रस धार
निर्झर झरनों सी रफ्तार
स्वच्छ , निर्मल ,जलधार
हम सृष्टि के रखवाले
जवाब देंहटाएंजैसा चाहे वैसा बना ले
बहुत सुन्दर सृजन...।
नमन आभार
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