* मैं वसुन्धरा*
ऐ मानव, सुन मेरी करुण पुकार
मेरा दम घुट रहा है ,हवाओं में फैला है जहर
ये कैसी हाहाकार ये कैसा कहर,
ऐ मानव,
तुमने मेरे द्वारा दी गई स्वतंत्रता का किया
बहुत दुरुपयोग किया,
बस - बस अब और नहीं अत्याचार......
बहुत दूषित किया तुमने मेरे आंचल को
बहुत आरियां चलाईं ,छलनी किया मेरी छाती को
मेरे धैर्य मेरी सहनशीलता का बहुत मज़क उड़ाया ,
बस अब और नहीं........
ऐ मानव, तुमने तो मेरी ही अस्तित्व को
खतरे में डाल दिया ,मेरी समृद्धि भी विपदा में पड़ी
ऐ मानव, दिखावे के पौधारोपण से ना मैं समृद्ध होने वाली ,तुमने तो मेरी जड़ों को ही जहरीला किया।
ऐ मानव , अब मुझ वसुन्धरा को स्वयं ही करना होगा स्वयं का उद्धार .....
ऐ मानव सुन मेरी करुण पुकार,
कर मुझ पर उपकार बन्द कर अपने घरों के द्वार
अब तक मुझे स्वयं ही करना होगा स्वयं का उद्धार ।
ऐ मानव, सुन मेरी करुण पुकार
मेरा दम घुट रहा है ,हवाओं में फैला है जहर
ये कैसी हाहाकार ये कैसा कहर,
ऐ मानव,
तुमने मेरे द्वारा दी गई स्वतंत्रता का किया
बहुत दुरुपयोग किया,
बहुत दूषित किया तुमने मेरे आंचल को
बहुत आरियां चलाईं ,छलनी किया मेरी छाती को
मेरे धैर्य मेरी सहनशीलता का बहुत मज़क उड़ाया ,
बस अब और नहीं........
ऐ मानव, तुमने तो मेरी ही अस्तित्व को
खतरे में डाल दिया ,मेरी समृद्धि भी विपदा में पड़ी
ऐ मानव, दिखावे के पौधारोपण से ना मैं समृद्ध होने वाली ,तुमने तो मेरी जड़ों को ही जहरीला किया।
ऐ मानव , अब मुझ वसुन्धरा को स्वयं ही करना होगा स्वयं का उद्धार .....
ऐ मानव सुन मेरी करुण पुकार,
कर मुझ पर उपकार बन्द कर अपने घरों के द्वार
अब तक मुझे स्वयं ही करना होगा स्वयं का उद्धार ।
ऐ मानव सुन मेरी करुण पुकार,
जवाब देंहटाएंकर मुझ पर उपकार बन्द कर अपने घरों के द्वार
अब तक मुझे स्वयं ही करना होगा स्वयं का उद्धार ।
बहुत सुन्दर लाजवाब
वाह!!!
आभार सुधा जी
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (24-04-2020) को "मिलने आना तुम बाबा" (चर्चा अंक-3681) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
सार्थक
जवाब देंहटाएंनमन अनीता जी
हटाएंऐ मानव, सुन मेरी करुण पुकार
जवाब देंहटाएंमेरा दम घुट रहा है ,हवाओं में फैला है जहर
ये कैसी हाहाकार ये कैसा कहर,
ऐ मानव,
तुमने मेरे द्वारा दी गई स्वतंत्रता का किया
बहुत दुरुपयोग किया.... बहुत ख़ूब
आभार अनीता सैनी जी
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंनमन ओंकार जी
हटाएंवाह!बहुत खूब!!
जवाब देंहटाएंनमन शुभा जी
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