अच्छाई की बुराई पर जीत का पर्व विजयदशमी ।
परमात्मा करे कलयुग में भी कोई रामचन्दर आयें और
मनुष्य की आत्माओं के विचारों और व्यवहारों में पल पोस रहे रावणों को मार गिराये ।
मेरा -मेरा करता मानव , आज बन गया है तू दानव ।
रावण भी खाली हाथ गया तू गया ले जायेगा संग
शुभ कर्मों की फसल उगा ले मीठी वाणी का प्रसाद
फिर रह जायेगा तेरे जाने के बाद ऐ मानव तेरा नाम ।।
हर वर्ष रावण के पुतले जलाने से अच्छा है ,हम मनुष्य अपने विचारों और व्यवहारों से जो रावण रुपी दुष्कर्मों जैसे द्वेष द्वन्द नफ़रत ईर्ष्या जलन पल रहे दुष्कर्मों का अन्त करे ।
मेरा तो मानना है कि,विजय दशमी का पर्व अवश्य मनायें
रावण का पुतला अवश्य जलायें ,परन्तु इसके पीछे के सत्य को जाने और अपने अन्दर के रावण रुपी अंहकार को भी परस्पर प्रेम की जोत से मुस्कान से सहर्ष मार डालें ।
परमात्मा करे कलयुग में भी कोई रामचन्दर आयें और
मनुष्य की आत्माओं के विचारों और व्यवहारों में पल पोस रहे रावणों को मार गिराये ।
मेरा -मेरा करता मानव , आज बन गया है तू दानव ।
रावण भी खाली हाथ गया तू गया ले जायेगा संग
शुभ कर्मों की फसल उगा ले मीठी वाणी का प्रसाद
फिर रह जायेगा तेरे जाने के बाद ऐ मानव तेरा नाम ।।
हर वर्ष रावण के पुतले जलाने से अच्छा है ,हम मनुष्य अपने विचारों और व्यवहारों से जो रावण रुपी दुष्कर्मों जैसे द्वेष द्वन्द नफ़रत ईर्ष्या जलन पल रहे दुष्कर्मों का अन्त करे ।
मेरा तो मानना है कि,विजय दशमी का पर्व अवश्य मनायें
रावण का पुतला अवश्य जलायें ,परन्तु इसके पीछे के सत्य को जाने और अपने अन्दर के रावण रुपी अंहकार को भी परस्पर प्रेम की जोत से मुस्कान से सहर्ष मार डालें ।
रितु जी, बिल्कुल सही कहा आपने कि हर वर्ष रावण के पुतले जलाने से अच्छा है,हम मनुष्य अपने विचारों और व्यवहारों से जो रावण रुपी दुष्कर्मों का अंत करें।
जवाब देंहटाएंरीतू जी ,जटिल विषय पर इतने सुंदर ढंग से रचना करना तो आपकी विशेषता हमेशा ही रही है आपको सुंदर रचना की बधाई ....
जवाब देंहटाएंएक नई दिशा !
Thanks Jyoti ji
जवाब देंहटाएंThanks Rashmi ji
जवाब देंहटाएंThanks Rashmi ji
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