**फुर्सत के पल**

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 फ़ुर्सत के कुछ पल
 बैठा था ,सलीके से
 हरी घास के गलीचे पर
 दिल में बेफिक्री थी
 शायद यही सच्ची खुशी थी ।
 पक्षी भी अपनी आजादी का
 आगाज़ रच रहे थे , दाना चुग
 रहे थे ,नील गगन की ओर
 ऊंची -ऊंची उड़ान भर रहे थे।
मौसम बड़ा सुहाना था
शायद प्रकृति का दिल भी
दीवाना था , धरती भी
स्वयं के श्रृंगार से प्रसन्नचित्त थी
क्यारियों में पुष्पों की बहार थी
सुंगधित समीर का वेग मन भावन
प्रसन्नचित ,प्रफुल्लित ,बसंत का आगमन
याद आ गया था ,
फिर वो अल्हड़ बचपन
ना चिंता, ना फिक्र ,
बस मस्तियों का जिक्र
 सपनों की ऊंची उड़ाने

क्या खूब थे ,वो **बचपन के जमाने **





*मंजिले राह इतनी आसान नहीं **



*क्योंकि मेरी मंज़िल का रास्ता यहीं से होकर गुज़रता है *


“ डर जाता हूँ , अक्सर टेड़े - मेड़ें रास्ते देखकर
क्योंकि मेरी मंज़िल का रास्ता यहीं से होकर
जाता है , चलता रहता हूँ , चोट खाता हूँ ,
ज़ख़्मी भी होता हूँ ,
पर ठहरता नहीं ....
कभी विशाल पर्वत, तो कभी गहरी खायी ,
क्योंकि मेरी मंज़िल का रास्ता ऐसी ही राहों से
होकर गुज़रता है , चलना पड़ता है ,
कभी सोचता हूँ , लौट जाऊँ , राहें बड़ी कँटीली हैं
मंज़िल भी दूर तक नज़र नहीं आती .........
ऐसा नहीं कि मैं डरपोक हूँ ...
परन्तु फिर भी ...
कभी - कभी ऐसा सोचता हूँ
क्यों मेरे ही हिस्से में तमाम मुश्किलें आयी
एक समय था , मैं था और गहरी खायी
ज़िन्दगी और मौत की हो रही थी लड़ाई
तभी किसी की कही बात याद आयी
गहरायी में ही मिलते हैं , हीरे जवाहरात
तू करता रह खुदायीं ,जितनी अधिक होगी
गहरायी , उतनी ही उन्नत होगी तेरी ज़िन्दगी की
मंज़िलों की ऊँचाई।
****ज्यों कल्प वृक्ष सदैव हरा -भरा रहता व् सदाबहार रहता है
**नदियों नीर देती रहती हैं और निरंतर संघर्ष करते हुए आगे बड़ने की प्रेरणा देती रहती हैं ।*
*पर्वत अपने लक्ष्य में अडिग खड़े रहने की शिक्षा देते हैं ,इसी तरह इस सम्पूर्ण संसार के ज्ञान के अमृत का कलश हर -पल बड़ता रहे ,भरा रहे यही उद्देश्य है ,हमारा।।
*क़ामयाबी*💐💐💐💐

*कामयाबी * अपने-अपने जीवन में हर कोई सफ़ल होना चाहता है । और हर किसी के लिए कामयाबी के मायने अलग-अलग हैं। आज के आधुनिक समाज में कामयाबी के मायने सिर्फ ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना रह गया है ,वैसे देखा जाये तो ठीक भी है जिसके पास जितना अधिक धन दौलत होगी वो बेशर्ते कामयाब है ,क्योंकि वो अपने पैसे के बल पर दुनिया के सारे सुख हासिल कर सकता है ।
पर हाँ एक चीज जो बहुत अनमोल है और जिससे वास्तव में सुख मिलता है वो है मन की शांति जो धन से नहीं मिलती ,हाँ कुछ समय के लिए आपका मन बहला सकती है ,और फिर वही अशान्ति।
वास्तविक शांति मिलती है जो आपका दिल कहे वो करो जिससे किसी का बुरा न हो धन कमाइये पर अपनी खुशियों को दांव पर रख कर नहीं कहीं कल ऐसा ना हो जिन खुशियो के लिए आपने आज अपनी खुशियाँ दाव पर लगायी ,वो खुशियाँ जीने का जब समय आये तब आपके पास सम ना बचे ।

मेरे लिए तो कामयाबी वो है जहां काम करने में मुझे और मेरी आत्मा को सुकून मिल, मेरे और मेरे समाज के हित मे हो।

मेरा जीवन सफल है ,अग़र मैं जो भी लिखूँ वो कहीँ किसी एक का भी मार्गदर्शन करता हो ,वही मेरे लिए मेरी सच्ची कामयाबी है ।
🌺😍 “ नयनों की भाषा
    नयन ही जाने
    इन में डूब के कई हो गये दीवाने
    कई हो गये मस्ताने
    फिर नयनों पर लिखे गये कई तराने
    जिन्हें गुनगुनाते रहे मस्ताने “🎉🎉🎤🌹🌹
 
 
 
    

******फकीरी******

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     *मैं खुश हूं ,मेरी फकीरी में
      बादशाहों का बादशाह बना दिया है
      मुझे मेरी फकीरी ने  ....

     *फकीरी दिलों की अमीरी है
     फकीरी में मनुष्य खुशियां लुटाता है
     बेवजह मुस्कराता है*

     *सच्चे बादशाह को अपनी सारी फिकरें सौंप
     बादशाहों का बादशाह बन जाता है *

     *जो फ़कीर है, वो सबसे अमीर है *

    ** जिन्दगी की डोर हो जब शहंशाह के हाथ
      तब मज़ा है फकीरी का अमीरी से जीने में **

 

PHILOSOPHY

Discussion on PHILOSOPHY  32 comments

is philosophy possible without talking about creation and reli…

Ritu Asooja  Rishikesh


philosophy ?as long as you explore or research it will extend .yes it is true philospher think differnt its our way of thinking how long how does we can explane our thought
If you put some seed give water &take care the tree will grow .
knowledge is like a tree .explore &extend.

Ritu Asooja  Rishikesh


i think philosphy itself is a different . can says third eye. I think philosphy need more &more explanation .
Yes it is not possible without creation & religion
Different colours different faces of people
as it different nature &different way of thinking
no every one can be a doctor ,or scientist.
So as philospher is by nature.yes who is philospher by nature will nturally connected to creation &religion


आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...