Ritu Asooja Rishikesh , जीते तो सभी है , पर जीवन वह सफल जो किसी के काम आ सके । जीवन का कोई मकसद होना जरूरी था ।परिस्थितियों और अपनी सीमाओं के अंदर रहते हुए ,कुछ करना था जो मेरे और मेरे समाज के लिए हितकर हो । साहित्य के प्रति रुचि होने के कारण ,परमात्मा की प्रेरणा से लिखना शुरू किया ,कुछ लेख ,समाचार पत्रों में भी छपे । मेरे एक मित्र ने मेरे लिखने के शौंक को देखकर ,इंटरनेट पर मेरा ब्लॉग बना दिया ,और कहा अब इस पर लिखो ,मेरे लिखने के शौंक को तो मानों पंख लग
*ए चाॅद*
रास्ते
रास्ते भी क्या खूब हैं निकल पड़ो
चल पड़ो मंजिलों की तलाश में
किसी सफर पर रास्ते बनते जाते हैं
रास्ते चलना सिखाते हैं,गिरना-समभलना
फिर उठ कर चलना मंजिलों के साक्षी
खट्टे-मीठे तजुर्बों के साथी रास्ते
किनारे पर लगे वृक्षों की ठंडी छांव में
थकान पर आराम की झपकी का सुखद एहसास
मंजिल पर पहुंच जाने के बाद रास्ते बहुत
याद आते हैं, रास्ते हसाते है , गुदगुदाते हैं
वास्तव में रास्ते ही तो जीवन के सच्चे साथी
होते हैं ,जीवन के सफर में रास्तों पर चलना होगा
रास्तों को सुगमय तो बनाना ही होगा
रास्ते ही जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं
सुख -दुख का किस्सा हैं ।
इंसान होना भी कहां आसान है
इंसान होना भी कहां आसान है
कभी अपने कभी अपनों के लिए
रहता परेशान है मन में भावनाओं का
उठता तूफान है कशमकश रहती सुबह-शाम है
बदनाम होताा इंसान है, इच्छाओं का सारा काम है
कभी हंसता कभी रोता कभी गिरता,कभी सम्भलता
इच्छाओं का पिटारा कभी खत्म नहीं होता
दिल में भावनाओं का रसायन मचाता कोहराम है
सपनों के महल बनाता सुबह-शाम है
बुद्धि विवेक से चमत्कारों से भी किया अजूबा काम है
चांद पर आशियाना बनाने को बेताब विचित्र परिस्थितियों
में भी भी मुस्कराता मनुष्य नादान है ......
अरे पगले ! पहले धरती पर जीवन जीना तो सीख ले
धरती तुम मनुष्यों के ही नाम है,धरती पर जन्नत बनाना
तेरा ही तो काम है जो मिला है उसे संवार ले
प्रकृति का उपकार है ,जीना तब साकार है
जब प्रत्येक प्राणी संतुष्ट मुस्कुराता निभाता सेवा धर्म का काम है ।
नज़र लूं उतार
कारवां
चंद वर्षों का आवागमन है ज़िन्दगी
गिनती तो नहीं, सांसों की टिक-टिक
पर टिकी है ज़िन्दगी जीने के लिए
कर्मों के बीज बोते हैं सहयोगी
साथी बनते चले जाते हैं और एक
बाद एक कारवां जुड़ता चला जाता है
हंसती- मुस्कुराती बिंदास सी जिन्दगी को
समेटे सुख -दुख के पल बांट लेते हैं साथी
मुश्किलों में एक दूजे के संग चलते हैं साथी
एकजुटता से दुविधाओं का सैलाब
भी पार कर लेते हैं साथी भागती -दौडती जिन्दगी में
खुशियों की कूंजी लिए फिरते हैं साथी
कारवें का कोई साथी जब बिछड़ जाता है
वक्त ठहर जाता है सहम जाता है
उदासी का कोहरा दर्द का पहरा
रिक्त हो जाता है एक हिस्सा कारवे का
रिक्तता धीमे-धीमे वक्त का मरहम भरता जाता है
और कारवां चलता चलता जाता है
वक्त का पहिया अपना काम करते जाता है ।
अनहोनी के कारण
ठहर जाता है ,सहम जाता है
वक्त का सिलसिला
उद्देश्य मेरा सेवा का पौधारोपण
उद्देश्य मेरा निस्वार्थ प्रेम का पौधारोपण
अपनत्व का गुण मेरे स्वभाव में
शायद इसी लिए नहीं रहता अभाव में
सर्वप्रथम खड़ा हूं पंक्ति में
समाज हित की पौध लिए
श्रद्धा के पुष्प लिए भावों की
ज्योत जलाएं चाहूं फैले च हूं और
उजियारा निस्वार्थ दया धर्म
का बहता दरिया हूं बहता हूं निरंतर
आगे की ओर बढ़ता सदा निर्मलता
का संदेश देता भेदभाव का सम्पूर्ण
मल किनारे लगाता सर्व जन
हित में उपयोग होता सर्वप्रथम खड़ा हूं पंक्ति में
निर्मलता का गागर भरता ।
आओ अच्छा बस अच्छा सोचें
आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...
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*******चिराग था फितरत से जलना मेरी नियति मैं जलता रहा पिघलता रहा जग में उजाला करता रहा ...
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चंद वर्षों का आवागमन है ज़िन्दगी गिनती तो नहीं, सांसों की टिक-टिक पर टिकी है ज़िन्दगी जीने के लिए कर्मों के बीज बोते हैं सहयोगी साथी बन...