और यह भी सत्य है गया वक्त लौट
कर नहीं आता ।
वक्त करवट बदलता है
तभी तो दिन और रात का सिलसिला
चलता है ।
मनुष्य को वक्त के हिसाब से ढलना पड़ता है
और चलना पड़ता है , नहीं तो वक्त स्वयं सिखा
देता है ।
वक्त रहते वक्त की कद्र कर लो मेरे अपनों
वक्त अपने ना होने का एहसास खुद कराता है
वक्त हंसाता है रुलाता है डराता है गुदगुदाता भी है
वक्त रहते वक्त पर कुछ काम कर लेने चाहिए
सही वक्त निकल जाने पर काम का अर्थ ही बदल
जाता है ।
व्यर्थ ना करो वक्त को, वरना वक्त अपना
अर्थ स्वयं बताता है ।
वक्त तो वक्त है सही वक्त पर किया गया कार्य
वक्त की लकीरों पर अपना नाम सदा -सदा के
लिए अमर कर अंकित कर जाता है ।
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