💐💐वेलेंटाइन डे💐💐
          💐💐💐💐
  कल ही मेरी सहेली का फ़ोन आया था ,कह रही थी कि कल तुम अपने बच्चों पर नज़र रखना ,कल वेलेंटाइन डे है उन्हें ज्यादा इधर -उधर मत जाने देना ,जमाना बड़ा खराब है। बे फालतू मे बच्चे किसी चक्कर मे ना फंसे ।

अपनी सहेली की बात सुनकर मैं थोड़ा चिन्ता में पड़ गयी ,मैं अपनी सहेली से बोली नहीं मैं नहीं रोक पाऊँगी अपने बेटे को , उसने मुझसे वादा किया हुआ है कि वो कोई गलत काम नहीं करेगा ।  यूँ तो मुझे उस पर बहुत विश्वास है ।  पर डर लगता है ,ज़माना बड़ा ख़राब है । मैं अपनी सहेली सुनीता को बता रही थी
 मैंने सुना था ,वो कह रहा था ,हाँ-हाँ मैं कल आ रहा हूँ तुमसे मिलने तुम तैयार रहना ।
 मैं अपने  बेटे के कमरे में जब गयी,   उसे कहने की बेटा खाना तैयार है,  आ जाओ खाना खा लो ।
 और पता है ,वो क्या कह रहा था वो कह रहा था कोई नही मम्मी को मैं सम्भाल लूँगा ।

सुनीता मुझे नहीं पता मेरे बेटे के मन मैं क्या है ।कल की कल देखी जायेगी कोई उपाय निकालती हूँ की वो कल मेरी आँखों के सामने ही रहे ।

अगला दिन वेलेंटाइन डे का दिन सुबह से ही मेरे बेटे के फोन आने शुरू हो गये ,मैं भी किसी न किसी बहाने उसके आगे पीछे घूमती रही जिससे पल पल की खबर मुझे मिलती रहे ।सब ठीक था नार्मल फोन ही आ रहे थे पता चल रहा था ।
फिर थोड़ी देर बाद मेरा बेटा बोला माँ मैं टयूशन जा रहा हूँ । मैंने उसे रोकते हुए कहा बेटा आज मेरा सिर दर्द है तबीयत भी ठीक नहीं लग रही ऐसा कर आज तुम टयूशन न जाओ यहीं घर पर मेरे पास ही रुक जाओ , मेरा बेटा बोला माँ आज आपको क्या हो गया है वैसे तो आप रोज कहती हो जल्दी टयूशन जाओ टाइम मत खराब करो आज क्या हो गया है आपको ------मेरा बेटा जल्दी से एक ग्लास पानी और सिर दर्द की दवा ले आया मेरे हाथ में दवा देते हुए बोला माँ जल्दी से दवा खा लो और थोड़ा आराम कर लो सर दर्द ठीक हो जायेगा तब तक मैं टयूशन पढ़कर वापिस आ जाऊँगा ।
अभी बेटा घर से निकला नहीं था की उसके फ़ोन पर घंटी बजी ,बेटे ने फ़ोन पर इतना ही कहा कि तुम मुझे वहीं खड़ी मिलना और बॉय माँ कहता हुआ निकल गया।  मेरे मन मे बहुत उथल -पुथल हो रही थी कि मेरा बेटा किससे मिलने गया होगा ।
मैं भी कम न थी बेटे के टयूशन क्लास के टीचर को फ़ोन कर दिया ,टीचर बोला आपका बेटा यहाँ टाइम से आ गया था और क्लास मे बैठा पढ़ रहा है । मन को थोड़ी शाँति मिली की बेटा पढ़ रहा है ।
नज़रें तो घडी की सुइयों पर लगी हुई थीं ,कब एक घंटा हो और बेटा घर पहुँचे और थोड़ी भी देर होती है तो फिर ------- घडी पर नज़र टिकाये कब मेरी आँख लग गयी मुझे पता नहीं चला ।

दरवाज़े से बेल की आवाज़ आयी मैं सकपका कर उठी घड़ी देखी तो दो घंटे हो गये थे , दरवाजा खोलते ही मैं अपने बेटे पर बरस पड़ी ,एक घंटा देर से क्यूँ आये ,हाँ मिलने गये होंगे किसी महारानी से ,बेटा बोला माँ ये आप क्या कह रही हैं , मैं बोली मैं क्या कह रही हूँ कह तो तुम रहे थे वहीँ खडी रहना -----बेटा बोला माँ आप भी ना लगता है दूनियाँ की सारी मायें ऐसी ही होती हैं उनको शक करने की बीमारी होती है ।माँ बोली वाह बेटा वह आज तो माँ बुरी हो गयी ।
फिर बेटा माँ को कमरे में ले गया ,माँ को कुर्सी पर बिठाया और बोला  हाँ वो मुझे वहीँ खड़ी मिली स्टेशन पर आपकी बेटी, मेरी बहन उसकी थोड़े दिन की छट्टी याँ थी तो उसने कल मुझे फ़ोन किया की वो कल आ रही है और मैं उसे ठीक टाइम पर लेने स्टेशन पहुँच जाऊँ ,वो आ रही है अभी पड़ोसन आँटी रास्ते मे मिल गयी  वो उन्ही से बात कर रही है।
तभी बेटे ने मुझसे कहा माँ मुझे आपसे एक बात कहनी है ।  आज न वैलेंटाइनडे है।  
मैं किसी को बहुत प्यार करता  हूँ , माँ बोली आजकल के बच्चे भी ना , माँ बोली तू पागल है क्या ?तुझे शर्म नहीं आती ,अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे ये प्यार व्यार के चक्कर मे न पढ़  ।😢
बेटे ने माँ के पैर पकड़ लिये नहीं माँ आप आप मुझे अपने प्यार से जुदा नहीं कर सकती । बैठे ने माँ के हाथ मैं पहले एक गुलाब का फूल पकड़ाया फिर पीछे से बेटी ने आकर माँ को एक गिफ़्ट दिया ,दोनों बच्चों ने माँ की ☺☺गोदी मे सिर रखते हुए खा माँ आप ही तो हो जिससे हम सबसे ज्यादा प्यार करते हैं ।आप ही हमारी वेलेंटाइन हो , आप ही हमारा पहला और सच्चा प्यार हो ।
 "जब दिलों में जले हर दिन मोहब्बतों के दिये 🎂
 तब हमें किसी विशेष दिन की आवयश्कता नहीं मोहब्बते इज़्हार की"💐💐




☺रुका जीवन और रुका हुआ पानी दुर्गन्ध देता है"😊

☺💐रुका जीवन और रुका हुआ पानी दुर्गन्ध देता है"😊💐😊

हर दिन की तरह उस दिन भी मैं पार्क में टहल रही थी
टहलते -टहलते थक गयी थी ,सोचा पास के बेंच पर जाकर बैठ जाऊं , बैंच के पास एक बड़ा हरा-भरा पेड़ था अमरुद का उस पर कुछ अमरुद भी लगे हुए थे ,मन में💐 उत्साह हुआ चलो एक अमरुद तोड़ती हूँ ,पर कैसे अमरुद तो बहुत ऊपर थे ,कुछ सोचा फिर पास में पड़ा पत्थर👌 उठाया और अमरुद पर निशाना बनाया ,पर मेरा निशाना इतना अच्छा थोड़े था कि सीधे अमरुद पर लगता और अमरुद टूट कर नीचे गिर जाता मैंने फिर दूसरा पत्थर उठाया फिर निशाना साधा , अबकी बार मेरा निशाना चूका नहीं पर अमरुद नहीं गिरा ,वहीँ बेंच पर बैठी मेरी मित्र को जा लगा , वो चिल्लायी मैं तुमको अमरुद लगती हूँ💐 क्या ?   मैंने कहा नहीं अमरुद तो बहुत छोटा है ,माना कि सख्त होगा पर ,—-तुम्हारी तरह नहीं —–😢😢
मेरी मित्र ने मेरी तरफ देखते हुए कहा क्या मतलब ? मैंने कहा बहन ये अमरुद तो एक दिन पेड़ पर लगे -लगे पक जायेगा ,,और नरम भी हो जायेगा पर तुम तो बहुत मजबूत हो 😊मेरी मित्र भड़की और बोली तुम कहना क्या चाहती हो  ? मैंने बोला देखो बुरा मत मानो ये जो तुम्हारा चेहरा है ना ये कभी खिलता नहीं ☺है मैंने कभी तुम्हारी बत्तीसी नहीं देखी क्या तुम्हें न हंसने की बीमारी है ।
 मित्र बोली तुम्हे क्या पता जिस पर बीतती है ना उसे पता चलता है ।  मैंने कहा हाँ बात तो सही है पर अपनी परेशानियों को याद करके रोते रहना कहाँ की समझदारी है तुम्हारी,  परेशानियों के बारे में सोचते रहने से क्या वो कम हो जायेंगी जब नहीं तो कोई हल निकलो दुनियां में कुछ भी ऐसा नहीं है जिसका समाधान ना हो ,लोग चाँद सितारों पर पहुँच गये और तुम अपने से भी दूर हो ।💐 फिर मैंने थोड़ा चुटकी लेते हुए कहा कहीं ऐसा तो नहीं तुम्हारी बत्तीसी ही ना 😊हो ,मेरी मित्र ने मेरी तरफ कुछ इस अन्दाज में देखा की एक पल को तो मैं डर गयी ,फिर उसके चेहरे पर मुस्कराहट की लहर दौड़ पड़ी ☺☺मैंने भी उसे मीठी सी मुस्कराहट दी ☺👌👌मैंने उसे यही कहा हमेशा मुस्कराती रहो हँसने☺ वाले के साथ सब हँस लिया करते हैं ,पर रोने वाले के पास कोई नहीं रुकता खुशियाँ बाँटो जितना बाँटोगी उतना बढ़ेगी ।नादिया का बहता पानी अगर इसलिये रुक जाये कि मुझमे सब गन्दगी डालते है तो क्या नादिया का पानी किसी लायक रहेगा मेरे मित्रों जीवन भी नादिया की तरह आगे बढ़ते रहने का नाम है ,अगर रुक गये तो दुर्गन्ध आने लगेगी ।

   💐👌 👍"  युग बदल रहा है"👍👌💐
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  " साहित्य को फिर से पढ़ा जाने लगा है
    लगता है फिर से ,स्वर्णिम साक्षरता का
         युग आने लगा है।"

  " साहित्य की फ़सल लहलहाने लगी है
   आचरण में सभ्यता मुस्कराने लगी है ।"

 " लगता है, युग बदल रहा है,कविता,
   कहानी, लेखों को भी कोई पढ रहा है "।
 
  "ज्ञान का प्रकाश जगमगा रहा है
    कोई लिख, कोई पढ़ रहा है। "

" माना की लिखने के शौंक को निक्क्मों
 का शौंक कहा गया ।
 पर हम निक्क्मों का लिखना ही कई निक्क्मों
 के काम आ गया ।"

  "विचारों के मंच पर मैंने ,कुछ बीज डालें है
  कहानियों की क्यारियाँ हैं,शब्दों के मोती हैं,
  कविताओँ में मुरली की धुन है, गज़ल ऐ जज़्बात,
  मेरा लिखा किसी के लिये प्रेरणा स्रोत बन जाये
   तो मैं समझूँ की मेरा लिखना कामयाब है।।"
 
 
                                 
 
   
   
   
    

💐 साहित्य 💐

    💐 " साहित्य  "💐

साहित्य एक फलदार वृक्ष के सामान है ।

 जिसका लाभ आने वाली पीढ़ी को मिलता है ।।


 साहित्य वो पौधा है ,जिसके बीज़ किसी

 कवि, लेखक के मन मस्तिक्ष में कविता,

 कहानी, लेख, निबन्ध ,दोहे,इत्यादि के रूप में

 पनपते हैं । जिसे कवि, लेखक सुन्दर शब्दों, की

माला में पिरोकर कुछ ,मनोरंजक, प्रेरणादायक सूत्रो में

एकत्र कर समाज के हित में समर्पित करता है ।

एक अच्छा साहित्य वही है, जो सभ्य सुन्दर समाज

की नींव रखने में सहायक हो ।

अगर आप कुछ अच्छा करना चाहते हैं ,तो कुछ अच्छे विचार भी समाज को समर्पित कर सकते हैं ।।







💐ॐ 💐💐ॐ जय सरस्वती भगवती देवी नमः 💐💐

   💐💐ॐ   💐💐ॐ जय सरस्वती भगवती देवी नमः 💐💐
                नतमस्तक ,नमन, अभिवादन
                जय सरस्वती देवी, आप ज्ञान रूप में ,
                मेरी बुद्धि में जो सदा विराजमान रहकर
                मेरा मार्गदर्शन करती रहती हो ,उसके लिये
                मैं आपका वन्दन करूँ ,प्रतिपल,प्रतिदिन,
                असँख्य बार वन्दन करूँ।
             "  हे सरस्वती माता" आप जो हम मनुष्यों की
               बुद्धिमें विराजमान होकर हमारा मार्गदर्शन
               करती हो ,हम मनुष्यों को भले और बुरे का व
           विवेक कराती हो,हमें सँसार में शुभ कर्मो के लिये
                प्रेरित करती हो ,उसके लिये मैं धन्यवाद करूँ
                मैं, तो निश दिन" हे,सरस्वती देवी" ,तुम्हारा ही
                गुणगान करूँ ,यशगान करूँ । हे बुद्धि विवेक
                की देवी हम सबका मार्गदर्शन करते रहो ।
                ऐसा वर दो वीणा वादिनी ,मेरी वीणा से में भी
                ज्ञान का अमृत भर दो 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

💐 सफर ये कैसा सफ़र💐

       
 💐  "सफ़र ये कैसा सफ़र"💐
   " दुनियाँ एक सराय हम मुसाफिर
      आँख क्यों न भर आये ,पहले बता
       परमात्मा ?तुमने जज़्बात क्यों बनाये?

 "चाह थी जो पाया नहीं ।
      जो पाया वो चाहा नहीं
      फिर जो पाया उसी को चाह लिया"।।
   
 प्रकृति ने दिये अनमोल ख़जाने
पर हम बन के सयाने ,भरते रहे झूठे
         खजाने ।।

दुनियाँ का सफ़र ,सुहाना सफ़र
 उस पर रिश्तों का बन्धन,
रिश्तों संग दिलो में जज़्बात ।।

       दिलों में प्रेम की जोत
 हर कोई किसी न किसी की जीने की वज़ह
 फिर कह दो दुनियाँ एक सराय
 इतनी बड़ी सराय ,लम्बा सफ़र
        इन्सान मुसाफिर ।।।।।

 
दूँनियाँ की सराय में मैं मुसाफिर
फिर सफ़र के हर लम्हें में क्यों
ना आनन्द उठाया जाये ।।


 सफ़र का आंनद लेना सीखो मेरे अपनों
सफ़र का हर लम्हा हमें कुछ न कुछ सीखा जाता है ।

जो पत्थर पैरों में कंकड़ बन चुभते हैं ,वही पत्थर
हमारे घरों की दीवारें बनाते हैं ।


कोई सूखे पत्ते देख उन्हें व्यर्थ समझता है
कोई उन्ही सूखे पत्तों से अपना चूल्हा जला लेता है।


पापी पेट का सवाल है ,कोई अपने घर के कूड़े को
बहार फैंकता है ।, कोई भूखा उसी कूड़े को अपने
           भोजन वज़ह बना लेता है ।।




 
    💐   " गणतंत्रता का सम्मान करो "💐

  "आज हम स्वतन्त्र हैं,हमारा अपना गणतंत्र है।
 👍  गणतन्त्र हमारा हमारा महान है।"
  सविंधान की सभी धाराओं का भी महत्व है👍
  वैदिक संस्कृति का भी का सम्मान है।👍
 हाँ आज हम स्वतन्त्र हैं, पर स्वतन्त्रता का ना अपमान हो ।
       सम्भलो मेरे देशवासियों     क्योंकि  ?
आज हमारी स्वतन्त्रता असंख्य माताओं की गोद की😢
       क़ुर्बानियाँ हैं ।   जब परतंत्रता की बेड़ियों के जुल्म का
दर्द बेअंत था,   जिन्दा थे कि, साँसे चल रही थी वरना जीना
कोई झन्नुम से ना कम था ,हर वक्त सिर पर मँडराता मौत ए😢
कफ़न था और क्या-क्या कहें हँसने पर भी दर्द ऐ सितम था।
मेरे देशवासियों, मेरे बन्धुओं अपनी स्वतन्त्रता को ना
अपमानित करना ,ये स्वतन्त्रता अनमोल है।
 बलिदानों का सिलसिला बेअंत है।।😥

 छब्बीस जनवरी  भारत का गणतंत्रता दिवस।
 गणतंत्र का सहज सम्मान हो , नियमों का पालन हो।
 स्वसम्पत्ति की सुरक्षा ,त्यों स्वदेश सम्पत्ति की सुरक्षा
 सुव्यवस्था ,और स्वच्छता॥ " मेरा भारत महान"  है की
 कहने वालों !  "भारत माता का"  भी श्रृंगार करो ।
 निज भवनों के बाहर न कचरे का भण्डार करो ।🚮
 भ्रष्टाचार का अब अन्त करो ।🚰
 भारत को अपना कहने वालों ,भारत माता का सम्मान करो
अपने गणराज्य पर अभिमान करो ।
सविंधान के नियमों का सम्मान करो।

 नये युग की नयी परिभाषा 🎆🎋🎉
 नयी पीढ़ी की नयी अभिलाषा ।
 सुनहरे भविष्य की दस्तक है ये तो
 अब ना बढ़ते कदमों को रोको,
 कर्मठता और निष्ठता के बीज है बोयें
तरक़्क़ी की अब फ़सल ऊगेगी ।
उन्नत्ति के शिखर पर चढ़कर नये युग का
आगाज़ करेंगे ।भारत माता का फिर स्वर्णिम
अक्षरोँ में दुनियाँ में नाम करेंगे🎉🎊
भारत फिर से सोने की चिड़िया कहलायेगा
विश्वकौटम्बकम का सपना अब सच हो जाएगा ।।
🎎🎉🎊🎆🎇🎇🎈🎈

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...