चमत्कारों का आधार
ए मानव तूमने बहुत
किये चमत्कार
तरक्की के नाम पर
सुविधाओं की भरमार
आशावादी विचार
टूटते परिवार
रोती हैं आंखें
बिकती हैं सासे
कुछ तो कारण होगा घुटन भरा माहौल
हवाओं में फैला ज़हर
यह कैसा कहर
चार पहियों पर
अंतहीन दौड़ती गाड़ियों का
अंधाधुंध सफर प्राणवायु देते
वृक्षों का कटाव अपनी ही
सांसों पर प्रहार यह कैसी रफ्तार
प्रकृति की करुण पुकार
ए मानव तू थोड़ी कम करता चमत्कार
प्रकृति में निहित समस्त समाधान
कर मानवजाति पर और समस्त प्राणियों पर उपकार
प्रकृति का उपकार निहित मनुष्य जाति का हितोपकार ।
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