चलो आज फिर सब हल्के हो जाएं
दिल से सच्चे हो जाएं बच्चे हो जायें
मासूमियत के फ़रिश्ते हो जाएं
मुस्कुराहटों को अपने चेहरों पर सजाएं
यूं ही बेबाक मुस्करायें
स्वयं को ना बिन बात पर उलझाएं
सपनों के ऊंचे महल बनाएं
परियों की दुनियां सजाएं
राजा -रानी और जिन्न के किस्से
कहानियों को सच कर जायें
प्रतिस्पर्धा की दौड़ में सब एक
पंक्ति में आ जाये ,ईर्ष्या द्वेष से दूर
अंतरिक्ष में चहल कदमी कर सितारों के
जहां में एक नया जहां बनाएं ,धरती पर
आसमान की दूरियों को दूर कर धरती पर
एक सुन्दर नया प्यारा न्यारा जहां बनायें
जहां सभी नेकी के फ़रिश्ते हो जायें ।
उम्मीद रखो सदा स्वयं से
स्वयं को स्वयं की उम्मीद पर
परखो ना किसी को स्वयं को
खरा बनाओ पारखी बनो
स्वयं की कमियों को जानो
उन्हें निखारो, कमियां किसी की
अपनी नहीं उसमे नासमझी की
जो समझ है हो सके तो उस समझ को
सवारों ,कोयले की खान में से हीरे को
तलाशने की नज़र बना लो जीवन
खूबसूरत होगा नज़र में अच्छी सोच का
नजरिया तो डालो ।
सिर्फ पाने की नहीं देने की नियत बना लो
जिन्दगी बेहतरीन होगी उम्मीद स्वयं की
सोच से स्वयं के कर्मो में कर्मठता का इत्र मिला लो ।
काबिल बनाने के लिए
स्वयं के आत्मसम्मान के लिए
स्वयं की और समस्त जहां की खुशियों के
लिए भलाई के बीज रौपता हूं
सुख समृद्धि और नेकी के लिए
स्वस्थ खुशहाल संसार की कल्पना
करता हूं स्वयं को समझाता हूं
निष्काम कर्म को अपना मूल मंत्रi
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