श्रद्धा की डोर,विश्वास का बन्धन
आत्मा के दर्पण में दिव्य ज्योत के दर्शन
मन के सारे मैल और दुविधाओं का जब
हो जाता अंत ,भावनाओं के समुन्दर में
करके मंथन ,उलझनों का हो जब अंत
प्राप्त हो संतुष्टता का धन जीवन में जागे
नई उमंग, शुभ कर्मों का ही हो बस संग
दिव्य गुरु के आशीर्वाद का संग
नमन, नतमस्तक परम श्रद्धेय गुरु देव जी को
नमन एवम् सहृदय वंदन ।
गुरु की महिमा अपरम्पार है।बहुत सुंदर प्रस्तूति।
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