वक़्त के बदलते रूप
वक़्त कभी एक सामान नहीं रहता
वक़्त का पहिया निरंतर चलता ही रहता है
वक़्त बदलना प्रकृति का नियम है
वक़्त बदलना आवयश्कता का रूप है
वक़्त एहसास कराता है
धूप छांव दिन-रात साक्षात उदहारण है,
बदलते वक़्त के ....
युग बदलते हैं ,सभ्यता संस्कृति सोच
एवम् कार्य करने के ढंग बदलते है
वक़्त एवम् काल नए आविष्कारों के भी जननी है
आवयश्क है वक़्त का बदलना भी
बदलाव एवम् परिवर्तन हमें एहसास कराता है
की आज सुख है तो कल कष्ट भी हो सकता है
कहीं रास्ते समतल है तो कहीं पथरीले भी हो सकते हैं
कहीं ऊंचे पहाड़ तो कहीं गहरी खाई
भी हो सकती है ,सुख-दुःख हार-जीत
मनुष्य को जीवन सहनशीलता एवम्
धैर्य के गुण सिखाता है
बचपन,जवानी,बुढ़ापा,मानव जीवन के रथ का
पहिया जो नए रूप दिखाता है
स्वस्थ जीवन मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है
किसी काल में कोई महामारी
मनुष्य प्राणों पर करती है प्रहार
संयम,धैर्य,एवम् सावधानी ही होता है जिसका उपचार
बदलते संसार का बदलता व्यवहार
यूं तो कभी नहीं रुकता संसार
बहुत खुब
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