मौन की भी भाषा होती है .....

मौन की भी भाषा होती है 
सत्य,सटीक और निर्भीक 
मौन की भी भाषा होती है
आंखे भी बोलती है
शब्दों की भी जुबान होती 
किन्तु जो शब्द बोलते नहीं 
वो बहुत कुछ कह जाते हैं
कभी कोई वाक्य बनकर 
जब गीत ,कभी गजल,
या कभी कोई कविता या कहानी 
बनकर दिलों दिमाग़ पर अपनी 
अमिट छाप छोड़ अमर हो जाते
हैं ,कागज पर अंकित शब्द ......

मौन भी बोलता है ,सत्य ही तो है
कभी कोई सजीव सा चित्र भी बहुत कुछ कह 
जाता है, एक अनकही कहानी 
कभी कोई संदेश 
कभी किसी का दर्द, 
प्रेम,सुंदरता,भाव,बंगीमा सब क
जाता है एक सजीव चित्र भी
अनगिनत लोगों के लिए प्रेरणा बन उभरता है
जब किसी चित्रकार का चित्र 
तब कुछ ना कहकर भी बहुत कुछ जाता है एक चित्र। मौन रहकर भी बोलती है प्रकृति 
कभी पतझड, बसंत , सावन, और समृद्धि के रूप में
हरियाली बनकर ,रंग-बिरंगे पुष्पों की सौगात बनकर ........


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...