Ritu Asooja Rishikesh , जीते तो सभी है , पर जीवन वह सफल जो किसी के काम आ सके । जीवन का कोई मकसद होना जरूरी था ।परिस्थितियों और अपनी सीमाओं के अंदर रहते हुए ,कुछ करना था जो मेरे और मेरे समाज के लिए हितकर हो । साहित्य के प्रति रुचि होने के कारण ,परमात्मा की प्रेरणा से लिखना शुरू किया ,कुछ लेख ,समाचार पत्रों में भी छपे । मेरे एक मित्र ने मेरे लिखने के शौंक को देखकर ,इंटरनेट पर मेरा ब्लॉग बना दिया ,और कहा अब इस पर लिखो ,मेरे लिखने के शौंक को तो मानों पंख लग
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आओ अच्छा बस अच्छा सोचें
आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...
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इंसान होना भी कहां आसान है कभी अपने कभी अपनों के लिए रहता परेशान है मन में भावनाओं का उठता तूफान है कशमकश रहती सुबह-शाम है ब...
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चंद वर्षों का आवागमन है ज़िन्दगी गिनती तो नहीं, सांसों की टिक-टिक पर टिकी है ज़िन्दगी जीने के लिए कर्मों के बीज बोते हैं सहयोगी साथी बन...
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पलक नहीं झपकती जी चाहता है निरंतर होता रहे सुन्दर प्रकृति का दीदार आरती का थाल लाओ नजर लूं उतार प्रकृति क्या खूब किया है तुमने वसुन्धरा क...
सच कहा है ...
जवाब देंहटाएंजब इंसान नहीं देता तो प्राकृति छीन लेती है ... पर ऐसे भी नहीं छीन ...
जी नमन एवम् आभार
हटाएंवाह!रितु जी ,बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार शुभा जी
हटाएंवाह!! ऋतु जी चिंतनपरक रचना
जवाब देंहटाएं! ये कोरोना लॉकडॉउन नही एक समाजिक और पारिवारिक क्रांति है इसका फायदा सबसे ज्यादा प्रकृति को मिला , कि वह खुलकर,, सांस ले रही है। सुंदर
रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें👌👌👌👌सस्नेह 🙏🙏
जी रेणु जी रचना पड़ने और एक सार्थक प्रतिक्रिया देने के लिए सहृदय आभार
हटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुती
जवाब देंहटाएंनमन कविता ज़ स्नेह आभार
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