*मेरी भूमिका *

**हम महिलाओं की भूमिका पर्दे के पीछे के सच्चे और अथक
पुरूषाथ का परिदृश्य होती है **
समाज की नींव ,संस्कारों की उर्वरा
विचारों की समृद्धि मेरे द्वारा ही रोपी जाती है
मैं एक नारी हूं ,जो अबोध को सुबोध बनाती हूं
एक स्वस्थ शिशु की पालना में अपना सर्वस्व लुटाती हूं
मैं एक नारी ही हूं जो  मकान  को घर बनाती हूं
सकारात्मक ऊर्जा से मनुष्यों के मन मस्तिष्क को शुभ भावनाओं से पोषित करती हूं ,संस्कारों के बीज अंकुरित कर समृद्ध समाज की नींव रखने की पहल करती हूं *
*हम नारी है *
हमारी भूमिकाएं अदृश्य हैं
परंतु नींव की बुनियाद हम ही होती है
समृद्ध समाज की कर्णधार भी हम ही होती हैं
समाज की तरक्की और उन्नति के सूचक
की प्रथम भूमिका हम महिलाओं की होती है
दुर्गा है , काली हैं,अन्नपूर्णा है सरस्वती हैं
फिर भी सहनशक्ति और प्रेम का सागर हैं
हम महिलाएं क्या करती हैं कह कर भी ,
समाज की नींव में मील का पत्थर बनकर खड़ी रहती हैं
कांधो पर समृद्ध समाज की नींव का भार लिए स हन शक्ति की अद्भुत मिसाल होती हैं।
 नींव से छेड़छाड़ समाज के पतन का कारण बनती है।
नींव हिलती है तो सारी सृष्टि हिल जाती है
हम महिलाओं की भूमिका पर्दे के पीछे के सच्चे और अथक
पुरूषाथ का परिदृश्य होती है ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. हमारी भूमिकाएं अदृश्य हैं
    परंतु नींव की बुनियाद हम ही होती है
    समृद्ध समाज की कर्णधार भी हम ही हो
    महिला दिवस पर बहुत सुन्दर लेख....
    महिला दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुधा जी आपको भी अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभामनायें

      हटाएं
  2. बहुत सुंदर लेख लिखा आपने 👌👌👌👌

    जवाब देंहटाएं

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...