* अभी तक तो तू सोया था
मद के सपनों में खोया था
अभी ना होगा तेरा अंत
अभी तो हुआ है तेरा जन्म
करके वसुन्धरा को नमन
आत्मा से बोल वन्दे मातरम्
मानवता कराह रही है
फैल रहा है कूटनीति का जहर
आतंकियों रूपी रक्तबीजों का उत्पाद
करने को निशाचरों का नाश
हो सिंह पर सवार
बन चंडी दुर्गा और काली
उठा त्रिशूल और बचा मानवता की लाज....
परशुराम बन उठा फरसा और
उखाड़ फेंक जहरीले बीजों को काट..
अधर्म पर धर्म की जीत
असत्य पर सत्य की जीत
रामराज्य स्थापित करना है फिर से
घर -घर माखन मिश्री की रस धार बहे
पन्ना धाय सी हर माता हो
मदर टेरेसा सा निस्वार्थ सेवा धर्म हो
घर-घर प्रेम का मन्दिर हो
अभिवादन हो सबका अथिति सत्कार
*सोने की चिड़िया*बनने को फिर से उत्सुक है
भारत माता के सिर सुशोभित रहे विश्व गुरु का ताज ।
व्वाहहहहह
जवाब देंहटाएंसादर..
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 03 फरवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना।
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट पर आपका स्वागत है- लोकतंत्र
धन्यवाद आभार यशोदा जी मेरे द्वारा सृजित रचना को पांच लिंको के आंनद में सम्म्मलित करने हेतु आभार
जवाब देंहटाएंसामायिक चिंतन लिए बहुत गहराई तक उतरती बहुत सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंआभार सहृदय धनीवाद
हटाएंबहुत ही सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंवाह!!!
स हृदय धन्वाद सखी
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