Ritu Asooja Rishikesh , जीते तो सभी है , पर जीवन वह सफल जो किसी के काम आ सके । जीवन का कोई मकसद होना जरूरी था ।परिस्थितियों और अपनी सीमाओं के अंदर रहते हुए ,कुछ करना था जो मेरे और मेरे समाज के लिए हितकर हो । साहित्य के प्रति रुचि होने के कारण ,परमात्मा की प्रेरणा से लिखना शुरू किया ,कुछ लेख ,समाचार पत्रों में भी छपे । मेरे एक मित्र ने मेरे लिखने के शौंक को देखकर ,इंटरनेट पर मेरा ब्लॉग बना दिया ,और कहा अब इस पर लिखो ,मेरे लिखने के शौंक को तो मानों पंख लग
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आओ अच्छा बस अच्छा सोचें
आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...
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इंसान होना भी कहां आसान है कभी अपने कभी अपनों के लिए रहता परेशान है मन में भावनाओं का उठता तूफान है कशमकश रहती सुबह-शाम है ब...
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*ए चाॅंद* कुछ तो विषेश है तुममें जिसने देखा अपना रब देखा तुममें ए चाॅद तुम तो एक हो तुम्हें चाहने वालों ने जाने क्यों अलग-अलग किया खुद ...
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पलक नहीं झपकती जी चाहता है निरंतर होता रहे सुन्दर प्रकृति का दीदार आरती का थाल लाओ नजर लूं उतार प्रकृति क्या खूब किया है तुमने वसुन्धरा क...
अच्छी उत्साहवर्द्धक और प्रेरणा से भरी लघुकथा ... वार्तालाप के शक़्ल में रची हुई ... पर परमात्मा की जगह क़ुदरत को नमन करना चाहिए ... रचनाओं को गढ़ते समय सहयोगी रहा होगा ....
जवाब देंहटाएंनमन जी स हृदय आभार
हटाएंप्रेरक कहानी ...
जवाब देंहटाएंबातचीत के अंदाज़ में लिखी ... नाटक ऐसे ही लिखे जाते हैं शायद ...
जी नमन शुक्रिया आभार दिगम्बर नवासा जी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए
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