Ritu Asooja Rishikesh , जीते तो सभी है , पर जीवन वह सफल जो किसी के काम आ सके । जीवन का कोई मकसद होना जरूरी था ।परिस्थितियों और अपनी सीमाओं के अंदर रहते हुए ,कुछ करना था जो मेरे और मेरे समाज के लिए हितकर हो । साहित्य के प्रति रुचि होने के कारण ,परमात्मा की प्रेरणा से लिखना शुरू किया ,कुछ लेख ,समाचार पत्रों में भी छपे । मेरे एक मित्र ने मेरे लिखने के शौंक को देखकर ,इंटरनेट पर मेरा ब्लॉग बना दिया ,और कहा अब इस पर लिखो ,मेरे लिखने के शौंक को तो मानों पंख लग
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आओ अच्छा बस अच्छा सोचें
आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...
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चंद वर्षों का आवागमन है ज़िन्दगी गिनती तो नहीं, सांसों की टिक-टिक पर टिकी है ज़िन्दगी जीने के लिए कर्मों के बीज बोते हैं सहयोगी साथी बन...
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ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 09/06/2019 की बुलेटिन, " ब्लॉग बुलेटिन - ब्लॉग रत्न सम्मान प्रतियोगिता 2019 “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआदरणीय जी आभार मेरे द्वारा सृजित रचना को ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग रतन सम्मान शामिल करने के लिए सादर आभार
हटाएंन जाने कब सभी गुड़िया को इस तरह के दर्द से मुक्ति मिलेगी?
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति।
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंमाँ के मन के भाव और उसके माध्यम से दिया गहरा संदेह ...
जवाब देंहटाएंसच में समाज कहाँ जा रहा है ...
जी शुक्रिया
हटाएंजी अभिलाषा जी
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