*****हां मुझे आगे बढ़ने का शौंक है **
**परंतु किसी को पीछे करके नहीं
*आगे बढ़ना प्रकृति का नियम है।
और अपने जीवन के अंतिम क्षण
तक मैं आगे बढ़ने का प्रयास करती रहूंगी **
**जीवन प्रतिस्पर्द्धा नहीं ,
प्रतिस्पर्द्धा कीजिए स्वयं से
स्वयं के परिश्रम से,संयम से**
परंतु किसी को धक्का देकर करके नहीं
मुझे स्वयं की जगह स्वयं बनानी है ।
मैं किसी का स्थान लूं ये मुझे
मंजूर नहीं
मेरा स्थान मेरे कर्म ,मेरे धर्म
ओर मेरे प्रयास पर निर्भर है ।
ना मुझे किसी से कोई प्रतिस्पर्द्धा है
ना किसी से वैर ,मेरी अपनी मंजिल
मेरा अपना सफर,
**मैं अगर अपने कर्मो के बल पर आगे बढ़ती हूं
तो यह कदापि नहीं की मैं किसी का स्थान लेना चाहती हूं **
**या मै किसी को पीछे करना चाहती हूं
मेरा तो हरदम यही प्रयास रहेगा कि,
सब आगे बढ़े ,सब अपनी मंजिल स्वयं बनाएं
सब समृद्ध हों ,सबका विकास हो ।
****मैं सूरज की तरह चमक सकता हूं
पर सूरज की जगह ले पाना असम्भव ही ,
नहीं ,नामुमकिन हैं।
माना कि मैंने बहुत बड़ी बात कह दी ।
मैंने अक्सर देखा है ,कुछ बढ़े व्यक्ति
स्वयं से पद में छोटे व्यक्तियों को ,
पीछे करके स्वयं आगे
आगे बढ़ने की कोशिश में लगे रहते हैं ,
परंतु बढ़े व्यक्तियों की महानता इसमें है की
वह उन्हें को आगे बढ़ाने का प्रयास करें
क्योंकि जो बढ़ा है, वो तो बढ़ा ।
ऐसा करके वो
और बड़ा और सम्मानित होगा ***
**परंतु किसी को पीछे करके नहीं
*आगे बढ़ना प्रकृति का नियम है।
और अपने जीवन के अंतिम क्षण
तक मैं आगे बढ़ने का प्रयास करती रहूंगी **
**जीवन प्रतिस्पर्द्धा नहीं ,
प्रतिस्पर्द्धा कीजिए स्वयं से
स्वयं के परिश्रम से,संयम से**
परंतु किसी को धक्का देकर करके नहीं
मुझे स्वयं की जगह स्वयं बनानी है ।
मैं किसी का स्थान लूं ये मुझे
मंजूर नहीं
मेरा स्थान मेरे कर्म ,मेरे धर्म
ओर मेरे प्रयास पर निर्भर है ।
ना मुझे किसी से कोई प्रतिस्पर्द्धा है
ना किसी से वैर ,मेरी अपनी मंजिल
मेरा अपना सफर,
**मैं अगर अपने कर्मो के बल पर आगे बढ़ती हूं
तो यह कदापि नहीं की मैं किसी का स्थान लेना चाहती हूं **
**या मै किसी को पीछे करना चाहती हूं
मेरा तो हरदम यही प्रयास रहेगा कि,
सब आगे बढ़े ,सब अपनी मंजिल स्वयं बनाएं
सब समृद्ध हों ,सबका विकास हो ।
****मैं सूरज की तरह चमक सकता हूं
पर सूरज की जगह ले पाना असम्भव ही ,
नहीं ,नामुमकिन हैं।
माना कि मैंने बहुत बड़ी बात कह दी ।
मैंने अक्सर देखा है ,कुछ बढ़े व्यक्ति
स्वयं से पद में छोटे व्यक्तियों को ,
पीछे करके स्वयं आगे
आगे बढ़ने की कोशिश में लगे रहते हैं ,
परंतु बढ़े व्यक्तियों की महानता इसमें है की
वह उन्हें को आगे बढ़ाने का प्रयास करें
क्योंकि जो बढ़ा है, वो तो बढ़ा ।
ऐसा करके वो
और बड़ा और सम्मानित होगा ***
अति सुंदर1।
जवाब देंहटाएंप्रेंणादायक रचना।
स्पर्धा स्वमं से ही करनी चाहिए तभी सार्थक हैं।उच्च विचार।
Thanks
हटाएंबहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंसच है आगे बढ़ना तो जीवन है ... मंजिल की और ... स्वयं को पाने के लिए भी आगे जाना होता है ... पर सच के रास्ते पे चल कर जो जाता है वही सफल है ...
सार्थक रचना ....
Ji आदरणीय आभार
हटाएंमैं किसी का स्थान लूं ये मुझे
जवाब देंहटाएंमंजूर नहीं
मेरा स्थान मेरे कर्म ,मेरे धर्म
ओर मेरे प्रयास पर निर्भर है ।
बहुत सुंदर रचना, रितु दी।
Ji jyoti ji आभार
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंना मुझे किसी से कोई प्रतिस्पर्द्धा है
ना किसी से वैर ,मेरी अपनी मंजिल
मेरा अपना सफर,....बहुत खूब सखी 👌
आभार
हटाएंबेहतरीन रचना ऋतु जी !! बेहद खूबसूरत भावाभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रेरणा देती रचना ऋतु जी
जवाब देंहटाएंजी Anuradha ji
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