💐इन्तजार नहीं-नहीं..... मुझे किसी का भी इन्तजार नहीं
पर शायद दिल के किसी के कोने में
करता तो हूँ, मैं भी किसी का इन्तजार
पर किसका ,नाम नहीं जानता उसका
दरवाजे पर खड़ा अक्सर झाँकता रहता हूँ
कोई नहीं है, फिर भी ना जाने किसका
इंतजार रहता है ।
शायद कोई मीठी सी महक 💐
मन्द मधुर समीर का झोंका
कोई मीठा सा एहसास दे जाये
कोई आये मुस्कराहटों की बौछार ले आये
हम भी मुस्करायें, वो भी मुस्करायें
सारा जहाँ मुस्कराना सीख जाये
नहीं किसी भी चेहरे पर
उदासी की झलक नज़र आये
सभी गिले-शिकवे ख़त्म हो जायें
आये तो अब बस बहारों के ही मौसम आयें
इन्तजार मैं रहता हूँ,अक्सर
कोई ईर्ष्या,द्वेष लोभ, अहँकार जैसी
जहरीली बिमारियों को खत्म करने की
दवा ले आये।
अब जो भी ईंसान नज़र आये
निस्वार्थ प्रेम की औषधी संग
जीने की वज़ह लेकर आये ।।💐💐💐💐💐💐💐💐
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
जवाब देंहटाएं💐इन्तजार नहीं-नहीं..... मुझे किसी का भी इन्तजार नहीं
पर शायद दिल के किसी के कोने में
करता तो हूँ, मैं भी किसी का इन्तजार
पर किसका ,नाम नहीं जानता उसका
दरवाजे पर खड़ा अक्सर झाँकता रहता हूँ
कोई नहीं है, फिर भी ना जाने किसका
इंतजार रहता है ।
शायद कोई मीठी सी महक 💐
मन्द मधुर समीर का झोंका
कोई मीठा सा एहसास दे जाये
कोई आये मुस्कराहटों की बौछार ले आये
हम भी मुस्करायें, वो भी मुस्करायें
सारा जहाँ मुस्कराना सीख जाये
नहीं किसी भी चेहरे पर
उदासी की झलक नज़र आये
सभी गिले-शिकवे ख़त्म हो जायें
आये तो अब बस बहारों के ही मौसम आयें
इन्तजार मैं रहता हूँ,अक्सर
कोई ईर्ष्या,द्वेष लोभ, अहँकार जैसी
जहरीली बिमारियों को खत्म करने की
दवा ले आये।
अब जो भी ईंसान नज़र आये
निस्वार्थ प्रेम की औषधी संग
जीने की वज़ह लेकर आये ।।💐💐💐💐💐💐💐💐
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आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'शनिवार' ३० दिसंबर २०१७ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ध्रुव जी मेरे द्वारा सृजित रचना को लोकतंत्र संवाद में सृजित करने के लिये
हटाएंवाह ! क्या बात है ! खूबसूरत प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद राजेश जी
हटाएंवाह! बड़ी ख़ूबसूरती से आपने सकारात्मकता को उभरने के लिए भावों को सजाया है इस अभिव्यक्ति में।
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनाएं।
आदरणीय सुन्दर टिप्पणी देने के लिये
हटाएंधन्यवाद
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