* खिलने दो मासूम कलियों को *


*शाम के आठ बजते ही घर में सब शान्त हो जाते थे।
एक दिन न जाने भाई-बहन में किस बात पर बहस छिड़ गयी थी ,बच्चों की माँ चिल्ला रही थी दोनों इतने बड़े हो गये हैं फिर भी छोटी-छोटी बातों पर लड़ते रहते हैं ।

माँ अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही थी कि,बच्चों की बहस खत्म हो ,माँ बच्चों के पास बैठी बोली तुम्हारे पापा, और दादा जी आने वाले हैं ,और तुम्हें पता है, की उन्हें बिल्कुल भी शोर पसन्द नहीं है ,वैसे ही दोनों दिन भर के थके हुए होते हैं ।
बेटी,सान्या दस साल की और बेटा सौरभ पन्द्रह साल का ,लेकिन भाई, बहन की लड़ाई में कौन छोटा कौन बड़ा दोनों अपने को बड़ा समझते हैं ,चलो किसी तरह शांति हुयी ।
माँ बोली आज साढ़े आठ बज गये हैं ,आज तुम्हारे दादा जी और पापा को देर हो गयी है ,अब तुम दोनों शांति से बैठे रहना ,वरना सारा गुस्सा तुम दोनों पर ही निकलेगा ।

इतने मे डोर बेल बजी ,दादा जी ,और पापाजी हाथ-मुँह धो कहना खाने बैठ गये ,माँ  एक सेकंड भी देर नहीं करती थी दोनों को खाना परोसने में,क्योंकि माँ वो दिन कभी नहीं भूलती थी ,जब एक दिन खाना देर से परोसने पर माँ को दादा जी से बहुत फटकार पड़ी थी ,और दादा जी ने उस दिन खाना भी नहीं खाया था ,और माँ को बहुत बड़ा लेक्चर दिया था ,कि बहू समय की क़ीमत समझो ,अपने बच्चों को कल क्या सिखाओगी ,वगैरा-वगैरा .....

रात को भोजन हो गया था,दादा जी, और पापा जी रोज की तरह आज भी दिन-भर क्या कमाया ,किसका कितना लेन-देन है बात-चीत करने लगे । इधर बच्चे अपना-अपना स्कूल का बैग लेकर बैठ गये और पढ़ने लगे ,पर बच्चे तो बच्चे ठहरे ,थोड़ा पढ़ना ,ज्यादा मस्ती ,ना जाने किस बात पर दोनों भाई -बहन हँसने लगे ,पापा ने आवाज लगायी ,पढ़ाई में मन लगाओ ,बच्चे चुप होकर पढ़ने लगे ।
आधा घंटा बीत गया था ,भाई बोला मेरा काम हो गया ,बहन बोली मेरा भी होने वाला है ,वो जल्दी -जल्दी लिखने लगी ।
भाई खाली बैठा था,खाली दिमाग शैतान का दिमाग ....

दोनों भाई बहन के स्कूल का काम पूरा हुआ ही था कि, भाई को जाने क्या सूझी ,बहन को पेंसिल चुभा दी,फिर तो दोनों भाई-बहन में झगड़ा शुरू हो गया, माँ ने बहुत समझाया की वो चुप हो जायें लेकिन दोनों ही बराबर बोले जा रहे थे,इसने ये किया ,उसने वो किया जब बहुत देर तक भाई-बहन की लड़ाई खत्म ना हुई तो उधर से पापा ने आवाज लगायी ,पापा की आवाज सुनते ही दोनों चुप हो गये।थोड़ी देर शान्ति से बैठने के बाद फिर जाने क्या बात हुयी ,दोनों भाई बहन हँसने लगे ,और हंसी भी ऐसी की रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी ,पापा-मम्मी दोनों ने उन्हें शान्ति से रहने को कहा दोनों भाई-बहन थोड़ा चुप होते फिर शुरू हो जाते ,ये सिलसिला बढ़ता ही जा रहा था । दिन-भर के काम के बाद दादा जीऔर पापा जी पहले ही इतना थक जाते थे कि घर पर आकर उनका सिर्फ चुप-चाप काम करके आराम करने का मन करता ।
बच्चों की हँसी और शरारतों की आवाजें मानों पापा को परेशान कर रही थीं, पापा जी उठे और बच्चों के पास जाकर जोर-जोर से डाँटने लगे ,बच्चे डर गये ,सहम गये ,बेटी के तो आंखों से आँसू ही बहने लगे ,भाई-बहन आपस मे चाहे जितना लड़ लें ,पर दोनों में से कोई भी एक दूसरे के आँसू नहीं देख सकता ।
भाई  बहन के आँसू देखकर बोला पापा ,आप को तो हँसना आता नहीं ,औरों को भी हँसने नहीं देते बिना बात पर छुटकी को रुला दिया ,इतने मे माँ ने बेटे को जोर की डाँट लगायी ,पापा से ऐसे बात करते हैं ,चलो माफ़ी माँगो अपने पिताजी से ......
अगला दिन सुबह के आठ बजे थे,बच्चे स्कूल के लिये तैयार होकर ,स्कूल चले गये ,आज बच्चों ने पापा-मम्मी से कोई फ़रमाइश नहीं की।
पापा जी बच्चों की माँ से बोलने लगे ,देखा जब तक बच्चों को डांटे ना तब तक अक्ल नहीं आती आज देखा कितने अच्छे लग रहे थे ।
आज स्कूल से आने के बाद भी बच्चे ज्यादा बोले नहीं थे चुप ही रहे माँ खुश थी कि बच्चे सुधर गये ।
रोज की तरह रात के आठ बजे दादा जी और पापा घर आ गये थे ,आज बड़ी शांति से दादा जी और पापा ने खाना खा कर काम किया ,बच्चे भी टाइम से सो गये थे।
अब तो हर रोज यही सिलसिला ,एक और तो दादाजी और पापा खुश थे कि उनके बच्चे शांत स्वभाव के हो गये हैं, परन्तु अब दादाजी ,और पापा को एक कमी अखरने लगी ,लगा जैसे घर में खिलौने तो हैं ,पर इनसे खेलने वाला कोई नहीं है ,नन्हें पंछी तो हैं ,पर वो उड़ नहीं सकते चहक नहीं सकते ,पापा को अपनी गलती महसूस हुयी ,उन्हें लगा यही तो बच्चों के खेलने -कूदने और शरारते करने के दिन है ,बड़े होकर तो यह हमारे जैसे हो जायेंगे ,जी लेने दें इन्हें इनकी जिन्दगी।
आज तो मानो चमत्कार हुआ पापा जी अपने बाच्चों के पास जाकर बैठ गये, ये क्या आज तो पापाजी बच्चों जैसी हरकतें करने लगे, पापा जी ने अपने बच्चों के साथ बहुत मस्ती मारी ,चुटकले सुना सुना कर बच्चे हँसी के मारे लोट-पोट हो रहे थे ,
पापाजी भी हँस रहे थे ,बैटे ने पूरे परिवार के साथ पापा जी ,माँ दादाजी सबकी हँसती हुई एक सेल्फी ली ।
फिर पापा को वो फोटो दिखाते हुए बोला पापा जी आप हंसते हुए बहुत अच्छे लगते हैं, और आपको तो हंसना आता है फिर आप हँसने में कंजूसी क्यों दिखाते हो , पापा हमारे स्कूल की एक किताब में भी एक पाठ है ,जिसमे हँसने के फायदे लिखें है ।
"पापा हँसने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, और नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है ।"
"हँसना स्वास्थ्य के लिये बहुत लाभदायक है ।"



"पापा जी बोले हाँ बेटा मैं जानता हूँ पर कभी किसी की मजबूरी पर किसी के दुख पर मत हँसना ....."

"बच्चे बोले पापा हम आपके बच्चे हैं ,आपसे हमे ऐसे संस्कार मिलें हैं कि हम कभी किसी का मज़ाक नहीं उड़ाएंगे और ना ही बुरा करेंगे ।।"


12 टिप्‍पणियां:

  1. सही कहा रितु...घर में हंसी-खेल का वातावरण ही अच्छा लगता हैं। उससे दिनभर की थकान निकल जाती हैं।

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    1. जी ज्योति जी ,उत्साहवर्धक टिप्पणी द्वारा उत्साह वर्जन करने के लिये धन्यवाद

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  2. बाल मनोविज्ञान और हँसी के महत्व पर प्रकाश डालती प्रेरक प्रस्तुति। बधाई ऋतु जी।

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    1. जी रविन्दर जी आभार आप सब की टिप्पणियां और बेहतर करने के लिये प्रेरित करती हैं।

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  3. बहुत सुंदर कहानी रितु जी।
    अपनों के साथ बिताया खुशनुमा वक्त सुंदर धरोहर है जीवन की ,जो कभी नहीं भूलते हम।

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  4. जी श्वेता जी आप सही कह रही है मनभावन टिप्पणी के के लिये धन्यावद

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  5. प्रेरक प्रसंग लिखा है ... ऐसे ही माता पिता छोटी छोटी बातों से बच्चों में जो भाव डाल सकते हैं वो दूर तक काम आने वाले होते हैं ... बाल मनो विज्ञान को समझना जरूरी है ...

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    1. आदरणीय दिगम्बर नवासा जी धन्यवाद आपका आभार मनभावन टिप्पणी द्वारा उत्साह बढ़ाने के लिये

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