आओ-आओ सखियों
हमारे प्रभु श्री राम ,लक्ष्मण,माता सीता,
हनुमान जी के साथ चौदह वर्ष बाद
वनवास से लौट रहे हैं ।
मन हर्षित ,प्रफुल्लित है ,जन-जन के प्रिय
श्री राम ,जानकी अयोध्या लौट रहे हैं ।
अमावस्या की काली घनी अंधेरी रात थी
घर, आँगन ,गली ,मोहल्ले दीपों के प्रकाश से प्रकाशित किये गये , प्रकाश की इतनी सुंदर व्यवस्था हुई
की लक्ष्मी भी हर्षित हुई घर-घर में लक्ष्मी जी की कृपा दृष्टि हुई, सुख-समृद्धि धन-धान्य से सब परिपूर्ण हुए,
प्रसन्नता वश आतिशबाजी ,व फुलझड़ियां भी प्रज्ज्वलित की गयी
वो सतयुग था ,तब से अब तक दीपावली का त्यौहार कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हर्षोल्लास से मनाया जाता है ।
पर ये क्या ?कलयुग में दीपावली यानि अपने ईष्ट के स्वागत की दीपों वाली रात को कितना जहरीला और दिखावटी रूप दे दिया है । ईर्ष्या वश सब एक दूसरे को देखकर जलभुन रहे हैं ,दिलों में प्रेम नहीं और मिठाइयां खिला रहे हैं ।
सर्वप्रथम घरों की और अपने-अपने व्यवसायिक स्थलों की साफ-सफाई करते है ,फिर अनगिनत जहरीले पटाखे जलाकर अस्वच्छता फैलाते हैं वातावरण भी दूषित ....हाय- हाय ये कैसा स्वागत ,ये कैसी दीपावली ।
माना कि त्यौहार का मौका है,दिल में उमंग, उत्साह भी आवयशक है । परस्पर प्रेम से सब गिले-शिकवे मिटाइये ।
बाहर की स्वच्छता के साथ-साथ भीतरी स्वच्छ्ता भी आवयशक है ,मन में मैल भरा रहा तो भगवान कहाँ आयेंगे।
दीपावली का त्यौहार अवश्य मनाईये ।
लक्ष्मी जी का स्वागत करिये, पर अनादर नहीं ,बारूद के पटाखों से वातावरण को दूषित कर आज का समाज जहरीली वायु मे स्वयं तो साँस लेता है ,और चाहता है, की उसके ईष्ट भी इस जहरीले वातावरण में आयें ।
नहीं भई नहीं ,परमात्मा क्यों आयेगा इतने जहरीले युग में
💐वो तो स्वर्ग में रहता है, जहाँ सब और निर्मलता है 💐💐
परमात्मा का स्वागत करना है तो पहले तन ,और मन को स्वच्छ करिये वातावरण में रासायनिक जहर को घुलने से रोकिए ।
पहले धरती को स्वर्ग से सुंदर तो बनाइये फिर दौड़े -दौड़े चले आयेंगे भगवान ......💐💐💐