**** जहाँ दादी और पौतों में प्यार की बात है ,यहाँ यही बात सच है कि,असल से सूद अधिक प्यारा होता है ।
परन्तु इतने सालों का फांसला हो तो......सोच का परिवर्तन आवश्य होता है । यूँ तो दादी अपने पौते से बहुत प्यार करती थी ,परन्तु अपने पौते के मनमौजी स्वभाव से अक्सर नाराज़ रहती थी ।☺
💐क्योंकि दादी चाहती थी ,की जैसा मैं कहती हूँ , मेरा पौता वैसा ही करे ,वो अपने ढंग से अपने पौते को चलाना चाहती थी ।
*परन्तु परिवर्तन प्रकृति का नियम है *
दादी ने घर पर ग्रह शान्ति के लिये पूजा रखवाई थी ,उनके पौते ने पूजा की सारी तैयारी करके दी ,पर दादी की इच्छा थी कि,उनका पौता पूजा की शुरुआत से लेकर पूजा खत्म होने तक पूजा में ही बैठे , और धोती कुर्ता भी पहने । ....पर दादी भी थोड़ी ज्यादा ही जी जिद्द कर रही थी ,उनके पौते ने कभी धोती नही पहनी थी और न ही वो पहनना चाहता था । उसकी और दादी की ऐसी छोटी -मोटी बहस होती रहती थी ।
पौता अपनी दादी से कह रहा था दादी कपडों से क्या होता है ,और पूजा -पाठ मन की सुन्दर अवस्था है ,क्या फर्क पड़ता है,भगवान हमारे कपड़ों को थोड़े देख रहा है । हम भगवान को कभी भी किसी भी समय कैसे भी याद कर सकते है ,दादी अपने पौते की बातें सुनकर थोड़ा परेशान हो कह रही थी ,ना जाने तुम कब समझोगे की भगवान की पूजा का क्या विधि विधान है, जरा भी त्रुटि हो जाये ना ,तो हमारे भगवान नाराज हो जाते हैं, पोता बोला .... दादी आपके भगवान बड़े जल्दी नाराज होते है ,क्यो ?
*वैसे तो हम गाते हैं ,तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो*,अब आप बताओ माता पिता अपने बच्चों से इतनी जल्दी नाराज हो जाते है क्या ?,उन्हें तो सिर्फ हमारी सच्ची भवनाएं और श्रद्धा ही चाहिए ..... इतने में पूजा जिन्होंने घर पर पूजा करनी थी वो पंडित जी आ गये ,पंडित समझदार थे।
,दादी जी की बातें सुनकर बोले दादी जी कोई फर्क नही पड़ता इन्हें इनके तरीके से चलने दो ,परीवर्तन प्रकृति का नियम है । *परिवर्तन चक्र निरन्तर अपनी धुरी पर घूम रहा है।
वक्त पल-पल बढ़ता जा रहा है।
सच है ,कि गुजर हुआ वक्त लौट कर
नहीं आता ।*
*अभी इस वक्त जो पल आपके पास है
कल वो पल नहीं होगा ,होंगे उसके जैसे
अन्य पल होगें ,जीवन का एक-एक पल
मूल्यवान है ,इसे व्यर्थ ना करें ,जीवन के
हर पल को भरपूर जियें ,कुछ ऐसे जियें
की आप खुद भी आनन्द में रहें ,और
आपके कारण दूसरे भी आनन्द मे रहें *
परिवर्तन का सबसे बड़ा उदाहरण है
*दिन और रात ,ऋतु परिवर्तन ,परिवर्तन
भी आवयशक है , आप ही सोचिये अगर
दिन के बाद रात न हो और दिन के बाद रात ना
हो तो कैसा जीवन होगा ।
ऋतु परिवर्तन ,गर्मी ,सर्दी ,
बरसात सभी तो आवयशक है
जीवन के लिये ।
इसी तरह मनुष्य के विचारों
में भी परिवर्तन होता है।आवयशक नहीं की जो विचार मेरे है
वही विचार आपके भी हों ।
और पीढ़ी दर पीढ़ी भी विचारों में
परिवर्तन होता है और स्वभाविक ही है।
आव्यशक नही की आपकी आने वाली पीढ़ी के विचार
आपसे मेल खायें, ऐसे में दोनों पीढ़ियों को चाहिये की
आपस में सामंजस्य बनाये ,एक दूसरे की भावनाओं की कदर करें ,स्वीकारें की परिवर्तन प्रकृति का नियम है ,अगर परिवर्तन नहीं होगा तो नीरसता भी आ सकती है ,और परिवर्तन यानि प्रग्रति ......💐💐 बशर्ते परिवर्तन में शुभ संस्कारों, सभ्य आचरण, अच्छे विचारों का हनन ना हो, हमारे हृदयों में परस्पर प्रेम की भावना का दीप सदा प्रज्वल्लित रहे **💐💐💐