अध्यापिका :- आज कहां गई तुम्हारी दीदी अाई नहीं तुम्हे पड़ाने हाहा हास्य मुद्रा में .... अरे वो तुम्हें क्या पड़ाएगी ,वो तो खुद अनपड़ है ,दसवीं पास वो भी चालीस प्रतिशत में उसे कुछ नहीं आता वो तुम्हें पड़ाने का ढोंग कर रही है । कल से मेरे घर आ जाना मैं पडाऊंगी तुम्हें ,जानते हो मेरे पास कितनी डिग्रियां हैं कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ाई की है मैंने.....
रीता:- नमस्ते अध्यापिका जी हम आपका आदर करते हैं आप हमसे बड़े हो ,और वैसे भी हम किसी का भी अनादर नहीं करते,
और हमारी दीदी को कुछ मत कहिए वो बहुत समझदार हैं हमें कोई फ़र्क नहीं पड़ता वो कितना पड़ी हुई हैं उनका ज्ञान बहुत बड़ा है आज तक उन्होंने कभी हमें किसी की बुराई करना नहीं सिखाया ,और आप हमारी दीदी के लिए ऐसा कह सकती हो
वो हमें ज्ञान दे रही हैं हमारा मार्गदर्शन कर रही हैं ।
दीदी ने हमें नैतिक शिक्षा का भरपूर ज्ञान दिया है हमारी दीदी के पास चाहे डिग्रियां कम हो पर विचारों में सबसे धनी हैं ।
(ज्ञान सिर्फ डिग्रियों का मोहताज नहीं होता ,सच्चा ज्ञान मनुष्य के श्रेष्ठ विचारों ओर आचरण की सभ्यता से प्रकट हो जाता है )