निरंतर आशा के दीप जलाते चलो
अंधियारा तनिक भी रहने पाए
पग- पग पर हौसलों के प्रकाश
फैलाते चलो ।
देखो! किसी दीपक की लौ
ना डगमगाये उम्मीद की नयी किरणों के
प्रकाश मन - मन्दिर में जलाते चलो
मन के अंधियारे में धैर्य और विश्वास
की अखण्ड ज्योति प्रकाशित करो
हौसलों के बांध बनाते चलो
देखो कोई ना अकेला ना रह जाये सबको
संग लेकर चलो सौहार्द का वातावरण बनाते चलो
दुर्गम को सुगम बनाते चलो
पग -पग पर शुभता के दीप जलाते चलो
अंधियारा को तनिक भी ना समीप बुलाओ
उजियारा हो ऐसे जैसे हर रोज
हर- पल दीपावली हो, परमात्मा के
आशीषो की शीतल छाया का एहसास निराला हो।
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