कलाकार

 कलाकार होना भी कहां आसान है 

अपनी कला को आकार देना पड़ता है 

एक आधार एक रुप एक ढंग से संवारना 

पड़ता है गुणों को पहचान कर स्वस्थ

सुन्दर आकर्षक प्रेरक प्रस्तुतियां देनी पड़ती हैं 

समाज को एक अनमोल साकारात्मक संदेश देने हेतु

संघर्ष करना पड़ता है 

सर्वप्रथम स्वयं को प्रोत्साहित करना होता है 

समाज के तानों को नजरंदाज करके 

स्वयं में एक उत्साह जागृत करना होता 

स्वयं को साबित करने के लिए एक जंग 

लड़नी पड़ती है कुछ विशेष कर के दिखाने को 

अपेक्षा का पात्र बन अनगिनत बार गिर -गिर कर उठना पड़ता है ।

या यूं कहिए सत्य को अग्नि परीक्षाएं देनी होती हैं

 हास्य का पात्र भी बनना पड़ता है 

यानि कलाकार को अपने हुनर को साबित करने के लिए 

आकार तो देना पड़ता है ।





7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 13 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. नमन यशोदा जी मेरी लिखी रचना को "सांध्य दैनिक मुखरित मौन" में सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद

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  2. वाकई कलाकार होना आसान तो नहीं ।सटीक बात ।

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  3. बहुत सुंदर और सार्थक सृजन 👌👌

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