फूल खिले हैं क्यारी - क्यारी
माली ने भी की है खूब तैयारी
वसुन्धरा हर्षित प्रसन्नचित फुलवारी
मौसम अनुकूल कोयल कूके मीठी बोली
वातावरण में गूंजे प्रकृति होती संगीतमय सारी
जल स्रोतों में पक्षी विहार
रंग बिरंगी तितलियों का संसार
मानों प्रकृति का कर रहा हो श्रृंगार
वादियों में रहे सदाबहार
हरे भरे वृक्षों की कतार
फलों फूलों से लदे रहे बागों में
रहे सदाबहार अबकी बार सदा सर्वदा
खुशहाली हो सबके घर द्वार
करते हैं यही दुआ प्रभु से आपार
प्रकृति अद्भुत चित्रकार यूं ही करते
रहना वसुन्धरा का श्रृंगार
हम सब दृढ़ प्रतिज्ञ हो ले शपथ
प्रकृति का संरक्षण हम सब का अधिकार ।।
वाह!रितु जी ,बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंआभार शुभा जी
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 14 मार्च 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंनमन आभार मेरी लिखी रचना को पांच दिनों के आनन्द में सम्मिलित करने के लिए ।
हटाएंसार्थक संदेश । प्रकृति को बचाना ही होगा ।
जवाब देंहटाएंनमन संगीता जी आभार
हटाएंसुंदर भाव और संदेश रितु जी
जवाब देंहटाएंनमन आभार मीना जी
हटाएंसुन्दर भाव लिए अतिउत्तम रचना।
जवाब देंहटाएंनमन आभार उर्मिला जी
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