"हिन्दुस्तान" का गौरव ,हिंदी मेरी मातृ भाषा, हिंदुस्तान की पहचान हिंदुस्तान का गौरव "हिंदी" मेरी मातृ भाषा का इतिहास सनातन ,श्रेष्ठ,एवम् सर्वोत्तम है ।
भाषा विहीन मनुष्य पशु सामान है ,भाषा ही वह साधन है जिसके द्वारा हम अपने विचारों को शब्दों और वाक्यों के माध्यम से एक दूसरे से अपनी बात कह सकते हैं और भव प्रकट कर सकते हैं ।
हिंदी मात्र भाषा ही नहीं, हिंदी संस्कृति है,इतिहास है,हिंदी इतिहास की वह स्वर्णिम भाषा है जिसमें अनेक महान वेद ग्रंथो के ज्ञान का भण्डार संग्रहित है ।
अपनी मातृ भाषा को छोड़कर किसी अन्य भाषा को अपनाना स्वयं का एवम अपने माता - पिता के अपमान जैसा हैं ।
मातृ भाषा से मातृत्व के भाव झलकते है ।
हिन्दी मेरी मातृ भाषा मां तुल्य पूजनीय है ।
जिस भाषा को बोलकर सर्वप्रथम मैंने अपने भावों को प्रकट किया उस उस मातृ भाषा को मेरा शत-शत नमन ।
जिस प्रकार हमें जन्म देने वाली माता पूजनीय होती है उसी तरह अपनी मातृ भूमि अपनी मातृ भाषा भी पूजनीय होनी चाहिए ।
मातृ भाषा का सम्मान ,यानि मां का सम्मान मातृ भूमि का सम्मान । मां तो मां होती ,और मां सिर्फ एक ही होती है ,बाकी सब मां जैसी हो सकती है। ऐसे ही मातृ भाषा भी एक ही होती है।
अपनी मातृ भाषा को छोड़कर किसी अन्य भाषा की ऊंगली पकड़ना ,मतलब बैसाखियों का सहारा लेना स्वयं को अपंग बनना ।
अपनी मातृ भाषा हिन्दी अनमोल है ,अद्वितीय है ,जीतना पुरातन इतिहास हिन्दी भाषा का उतना किसी अन्य भाषा का नहीं । अपनी भाषा को अपना गौरव समझते हुए उसके साथ चलिए इतिहास गवाह है भारतीय संस्कृति का लोहा विश्व में सदियों से अपना गौरवान्वित इतिहास बनाता आया है ,और आगे भी बनाएगा ।