अनसुनी चीख


जीवन पंक्ति के पन्नों में
कुछ पन्ने रहे अधूरे
सटीक उत्तर की चाहत में
प्रश्न मेरे रहे निरुत्तर
शब्द व्यंगों के तीखे तीर
कमल हृदय में अनसुनी चीख
हृदय पीर से शब्द पिघलते
वर्ण वर्ण आकार लिए
विचारों समुंदर बीच भवंडर
लहरों का आना-जाना
तूफानों का तबाही मचाना
बिछड़न का नासूर दे जाना
दर्द ए दिल का नया बहाना
अद्भुत प्रकृति रीत विधाता
परखे वक़्त कसौटी
घात हृदय विरह गीत गाता
मन ही मन को स्वयं समझाता
गंभीर पीर पर भारी पीड़
रक्तिम अधर पर बंसी रीत
मेघ-मल्हार राग भैरवी
पाषाण प्रहार ओलावृष्टि
हृदय पीर संग अश्रु द्रव्य
राख आत्मजा भाव तरलता
हृदय पीर पिघलते शब्द
वर्ण आकार लिए दर्द
व्यंग शब्द तीखे तीर
कमल हृदय अनसुनी चीख  ।

















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