*दीपोत्सव *



** अतिथि देवो भव:

धन्य-धन्य भाग हमारे जो

देवता ही अतिथि बनकर

हम सब के घर पधारें

सुस्वागतम सुस्वागतम

शुभ मंगल दिवस है आया

परम तत्व श्री विष्णु,लक्ष्मी,सरस्वती

आदि अन्य देवताओं के स्वागत

में हमने शुभ मंगल कलश बिठाया

दीपों से घर आंगन को हमने खूब सजाया

मुख्य द्वार पर पुष्पों की

झालरों का बंदनवार बनाया

साज सज्जा के अनगिनत

बहुमूल्य साधनों से भवनों का

स्वर्ग सा अद्वितीय रूप संवारा

दीपों की अनगिनत श्रृंखलाओं के

प्रकाश का लावण्य मानो 

धरती पर स्वर्ग उतर आया

स्वर्ग सा भव्यतम अद्भुत,नजारा

अतुलनीय अद्वितीय धन्य -धन्य भाग हमारे

जो देवता ही अतिथि बनकर हमारे द्वार पधारे

उनके चरण पखारे रंगों के सामंजस्य

से सुंदर रंगोली सजायें

प्रभु के स्वागत में अपना सर्वश्रेष्ठ कर दिखाया

घर द्वार और आंगन की स्वच्छता के संग

मन के भी सारे मैल हटाएं

धन्य -धन्य भाग हमारे जो देवता ही

अतिथि बनकर हम सब के घर पधारें

आओ हम सब मिल दीपोत्सव मनाएं

प्रभु के स्वागत में अपना सर्वस्व लुटाएं***"""


4 टिप्‍पणियां:

  1. मन के मैल हटते ही , दीपक स्वतः जगमगा उठते हैं। सुंदर और लयबद्ध रचना।
    प्रणाम।

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  2. सुंदर अभिव्यक्ति, रितु दी। दिवाली की शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं

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