Ritu Asooja Rishikesh , जीते तो सभी है , पर जीवन वह सफल जो किसी के काम आ सके । जीवन का कोई मकसद होना जरूरी था ।परिस्थितियों और अपनी सीमाओं के अंदर रहते हुए ,कुछ करना था जो मेरे और मेरे समाज के लिए हितकर हो । साहित्य के प्रति रुचि होने के कारण ,परमात्मा की प्रेरणा से लिखना शुरू किया ,कुछ लेख ,समाचार पत्रों में भी छपे । मेरे एक मित्र ने मेरे लिखने के शौंक को देखकर ,इंटरनेट पर मेरा ब्लॉग बना दिया ,और कहा अब इस पर लिखो ,मेरे लिखने के शौंक को तो मानों पंख लग
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बहुत प्यारी सोच सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंनमन आभार
हटाएंबेहतरीन सृजन दी जी
जवाब देंहटाएंसादर
नमन आभार अनीता दी
हटाएंहर कोई आईने में देख अक्स अपना
जवाब देंहटाएंस्वयं को सुधारना चाहे निखारना चाहे
वाह!!!
बहुत खूब...
सचमुच काश ऐसा हो पाता... बेहतरीन सोच 👌👌
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