* धुंध *

प्रकृति में सौंदर्य  की
पवित्रता जो हमने देखी
उसका सम्पूर्ण चित्रण करना
इतना सरल नहीं है
फिर भी...
अद्भुत अलौकिक प्रकृति
का रमणीय नज़ारा
दिनकर के प्रकाश से प्रकाशित
जग सारा
पल में आया कोहरे का साया
और फिर "छाया"
ये मौसम भी दिल को भाया
फ़िर एक और सुन्दर नज़ारा
शायराना मौसम में शायराना आलम सारा
मौसम की मस्तियां
तो देखो
हसीन वादियों में कोहरे का पहरा
तो देखो
श्वेत मखमली महीन रूई की
सी उड़ती धुंध
दृष्टि के सामने हसीन दृश्य
पल में ही सब धुंध में गुम
नन्हीं जल की बूंदे
कोहरे की चादर बन फैले इधर-उधर
वाह धुंध में पल -पल में सब होते गुम
कभी दिखते कभी हो जाते गुम
जिन्दगी भी एक धुंध बस धुंध ही धुंध.....






1 टिप्पणी:

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