चंद्रमा ,चांदनी और सरिता

चन्द्रमा ,चांदनी और सरिता 
एक कवि का मन रचने लगा कविता 
दिव्य अलौकिक प्रकृति की रचना
मेरे शब्दों में ना समा पाए ए प्रकृति
तेरी सहज ,निर्मल ,अद्वितीय सुंदरता 
गंगा की अमृत मयी जलधारा
चन्द्रमा की चांदनी में चांदी सा 
चमचमाती गंगा की  निर्मल अमिय जलधारा 
वाह प्रकृति का सुन्दर मिलन अद्भुत ,अतुलनीय 
अलौकिक अकल्पनीय ।


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