**दुनियां के पास आपकी सफलता को नापने के अलग- अलग पैमाने हैं ,दुनिया की नज़रों से देखोगे तो कभी भी पूर्णतया सफ़ल नहीं हो पाओगे ,स्वयं की कसौटी पर खरा उतरना है ....अगर आपको आत्मिक रूप से संतुष्टता और प्रसन्नता प्राप्त हो रही है तो आप सफल हैं **
**सफलता क्या है ,सफलता क्या सिर्फ कार्य सिद्धि है**
*सफ़लता के बदले कुछ पा लेना ही सम्पूर्ण सफलता माना जाता है *
**मेरे लिए तो सफलता आत्मसंतुष्टि है**
अगर आपने किसी भी कार्य को पूर्ण निष्ठा ईमानदारी और लगन के साथ किया और अपना सर्वश्रेष्ठ उसमे दिया है ,तो मेरे लिए यह सम्पूर्ण सफलता है **
साधारणतया लोग सफलता को हार और जीत तक ही सीमित कर देते हैं ।
सफलता क्या सिर्फ जीत या हार पर निर्भर है ,या सिर्फ कुछ पा लेना ही तो सफलता है।
सफलता को कभी भी किसी रैंक से मत जोड़िए
प्रत्येक व्यक्ति की अपनी विशेषतायें होती है ।
सबकी अपनी पहचान ,हाथ की भी सभी उंगलियां बराबर नहीं होती ,परंतु प्रत्येक की अपनी विशेषता होती है।
कोई किसी कार्य में निपुण होता है और कोई किसी अन्य कार्य में विशेष होता है ।
अपनी विशेषताओं को पहचानिए और अपने कार्य में अपना विशिष्ट दीजिए ,अगर आप को संतुष्ट हैं तो आप सफल हैं ।
संभवतः सत्य भी है ,लेकिन सफलता को कभी भी हार या जीत से मत जोड़िए अगर आपने कोई भी कार्य सम्पूर्ण ईमानदारी और निष्ठा से पूर्ण किया है ,और आपका वह कार्य संतोषजनक है ,और सकारात्मकता की और ले जाता है ,तो आप सफल है ।
अगर आप किसी प्रतियोगिता में भाग ले रहें हैं उसमें भी आपकी कार्य क्षमता के अनुसार ही परिणाम मिलता है ।
अतः सफलता को किसी तराजू में मत तोलिए आपकी कार्य क्षमता ,आपके प्रयास आपकी सफलता का परिचय हैं ।
**आप अपने कार्य से संतुष्ट हैं ,आपको आत्मसंतुष्टि मिल रही है तो निसंदेह सफल हैं ।
सफलता को कभी भी धनोपर्जन से मत जोड़िए ।
सफलता अपना अपना कार्य करते हुए स्वयं का और बेहतर समाज का निर्माण करने में जो सहायक हो सफलता हैं **
**सफलता क्या है ,सफलता क्या सिर्फ कार्य सिद्धि है**
*सफ़लता के बदले कुछ पा लेना ही सम्पूर्ण सफलता माना जाता है *
**मेरे लिए तो सफलता आत्मसंतुष्टि है**
अगर आपने किसी भी कार्य को पूर्ण निष्ठा ईमानदारी और लगन के साथ किया और अपना सर्वश्रेष्ठ उसमे दिया है ,तो मेरे लिए यह सम्पूर्ण सफलता है **
साधारणतया लोग सफलता को हार और जीत तक ही सीमित कर देते हैं ।
सफलता क्या सिर्फ जीत या हार पर निर्भर है ,या सिर्फ कुछ पा लेना ही तो सफलता है।
सफलता को कभी भी किसी रैंक से मत जोड़िए
प्रत्येक व्यक्ति की अपनी विशेषतायें होती है ।
सबकी अपनी पहचान ,हाथ की भी सभी उंगलियां बराबर नहीं होती ,परंतु प्रत्येक की अपनी विशेषता होती है।
कोई किसी कार्य में निपुण होता है और कोई किसी अन्य कार्य में विशेष होता है ।
अपनी विशेषताओं को पहचानिए और अपने कार्य में अपना विशिष्ट दीजिए ,अगर आप को संतुष्ट हैं तो आप सफल हैं ।
संभवतः सत्य भी है ,लेकिन सफलता को कभी भी हार या जीत से मत जोड़िए अगर आपने कोई भी कार्य सम्पूर्ण ईमानदारी और निष्ठा से पूर्ण किया है ,और आपका वह कार्य संतोषजनक है ,और सकारात्मकता की और ले जाता है ,तो आप सफल है ।
अगर आप किसी प्रतियोगिता में भाग ले रहें हैं उसमें भी आपकी कार्य क्षमता के अनुसार ही परिणाम मिलता है ।
अतः सफलता को किसी तराजू में मत तोलिए आपकी कार्य क्षमता ,आपके प्रयास आपकी सफलता का परिचय हैं ।
**आप अपने कार्य से संतुष्ट हैं ,आपको आत्मसंतुष्टि मिल रही है तो निसंदेह सफल हैं ।
सफलता को कभी भी धनोपर्जन से मत जोड़िए ।
सफलता अपना अपना कार्य करते हुए स्वयं का और बेहतर समाज का निर्माण करने में जो सहायक हो सफलता हैं **
सफलता को परिभाषित करता सुन्दर लेख।
जवाब देंहटाएंआभार मीना जी
हटाएंसच है सफलता के मायने अपने अपने होते हैं ... और होने भी चाहियें ...
जवाब देंहटाएंमन जिसको सफलता माने वो बात ही आत्म-तुष्टि देती है ...
आभार दिगम्बर नवासा जी
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