पावनी माँ गँगा की अविरल जलधारा ,गँगा मात्र सरिता नहीं ,यह हम भारतीयों के लिए अमृत है ,संजीवनी है ।यह जन-जन की आस्था और विश्वास ही तो है ,गँगा जी को गँगा माता कहकर बुलाते हैं ।हमारे पुराने ग्रंथों में लिखा है की ,राजा सगर साठ हजार पुत्रोँ को मुक्ति दिलाने के लिए भागीरथ ने घोर तपस्या की थी अनन्तः भगवन शिव ने प्रसन्न होकर गँगा की अविरल धरा को धरती पर प्रवाहित किया ,गंगा की प्रचण्ड वेगधारा जो अपने साथ सम्पूर्ण जग को जलमग्न कर देती ,तब शिवजी ने गँगा की अविरल धारा को अपनी जटाओं में समाहित करते हुए धीरे-धीरे धरती पर छोड़ा ,जिस तरह गंगा ने महाराजा सागर साठ हजार पुत्रों का उद्धार किया ,उसी तरह गंगे मैया आज तक जन-जन का उद्धार करती आ रही है । गँगा की महिमा उतुलनीय है ।
गँगा जी में कुम्भ मेले का भी विशेष महत्व है ,प्रत्येक बारह वर्ष के पश्चात कुम्भ मेला होता है ,और छह वर्ष में अर्ध कुम्भ मेला यह मेला इस वर्ष हरिद्वार में है ,निरन्तर जंगलों में योगसाधना ,तपस्या हवन यज्ञ आदि कर रहे ऋषि मुनि साधू कुम्भ मेले के दौरान माँ गंगा की अमृतमयी जलधारा में स्नान करने आते है ,सम्पूर्ण वातावरण आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत हो जाता है ।कुम्भ मेले के दौरान जब योग ,तपस्या का कुम्भ चारों और छलकता है ,तब गँगा का अमृतमयी जल प्रफुल्लित होते हुए अपनी शरण आये हुए भक्तों के तन -मन को शीतल करता है ।
जब माँ गँगा जन-जन का कल्याण करती है ,प्रकृति को सींचती है ,तो वहीं हम सब को भी कर्तव्य बनता है ,की हम इस अमृतमयी अमूल्य धरोहर का संरक्षण करे गँगा नदी में गन्दगी ना डाले ,इसकेआस-पास कूड़ा -करकट न एकत्रित करें ।गँगा की हमारा ही कल्याण है।
हर-हर गंगे के स्वर माँ गँगा की ममतामयी शीतलता का स्पर्श ,ज्यों एक माँ अपने बच्चों के सारे दुःख दूर करती है वैसे ही माँ गंगा भी अपनी शरण मेंआये हर भक्त के पाप दुःख दर्द दूर करती है और निरन्तर आगे बढ़ते रहने का सन्देश भी देती है ।
कुम्भ हूँ ,में ज्ञान का, तप का ,वैराग्य का समृद्धि का ,शीतलता का अन्तः करण की शुद्धि का।
परमात्मा ने हमें प्रकृति के रूप में अनमोल सम्पदाएँ दी हैं जैसे ये नदियाँ,ये झरने वृक्ष पर्वत इत्यादि
ये सम्पदाएँ हैँ ,अनमोल रत्न हैं हमारी निधियाँ है हमें इनका संरक्षण करना चाहिए ।
और माँ गँगा के रूप में भारत को अमृत प्राप्त है ,गंगाजल की कीमत हम भारतीय बहुत अच्छे से जानते है हर घर में पूजा अर्चना में गंगाजल अनिवार्य है ।
गँगा की पवित्रता व् स्वछता को बनाये रखना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है , इस संजीवनी औषधि की स्वच्छ्ता को हमें बनाये रखना है ,गँगा के रूप मिले इस खजाने का हमें संरक्षण करना होगा इसे स्वच्छ रखने का हमें प्रण लेना होगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें