अमृत की रस धार 


कविता नहीं तो कवि नहीं,रस नहीं श्रृंगार नहीं। कविता मात्र शब्दों का संग्रह  नहीं ,

भावनाओं का अद्धभुत संगम है ,
 अमृत की रसधार है।

 मन -मस्तिष्क  मे हल -चल  मचा देने वाली अद्धभुत आवाज है। .
सुन्दर शब्दों की खान है , भावों का का सम्मान है।
कविता कभी वात्स्ल्य ,प्रेम ,करुणा ,श्रृंगार ,
कभी वीर रस का पयार्य है।
कभी प्रकृति की सुन्दरता का बखान है.
शब्दों के द्वारा विचारों के रूप में परणित  ,
भावनाओं के अद्धभुत मेल का सयोंग है।

कविता अंतरात्मा में उठे तूफ़ान की आवाज है. .
दिल की गहराइयों में  उतर जाने वाले भावों की आवाज है।
कविता जीवन का यथार्थ है,
कवियों के जीवन का चरित्रार्थ है।
कविता अमरत्व की पहचान है। 
         


 




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...