**वक़्त किसी के लिए नहीं रुकता**

 वक़्त की क़दर करना सीखो
 माना कि वक़्त बहुत कुछ दोहराता है
  परंतु लौटता नहीं ,जिन्दगी की सांसों की
गिनती भी वक़्त के साथ कम होती जाती है
 इसलिए वक़्त जाया ना करें .... ये बीता वक़्त है साहब  लौट कर नहीं आता है.....

 **जन्म उत्सव
धरती पर मनुष्य जीवन के
 सफ़र का प्रारम्भ
सफ़र को यादगार बनाईए
जन्म है,सफ़र है,तो लौटना भी होगा ***

**वक़्त रहते जो कर लिया जाए
अच्छा होता है , क्योंकि
कभी -कभी वक़्त ऐसा आता है कि
वक़्त नहीं होता ,और वक़्त आने पर
वक़्त साथ नहीं देता ***

*अक़्स*



एक तस्वीर खींचनी है मुझे 

जो समाज का आईना हो

जो कोई भी उस तस्वीर को

देखे उसे अपना अक्स नज़र आए

हर कोई आईने में देख अक्स अपना

स्वयं को सुधारना चाहे निखारना चाहे 

       **विचारों की सम्पदा **
 **नैन से नैन कुछ इस तरह मिले
दिल के सारे हाल बयां हो गए
ना उनके लब हिले ना मेरे लब हिले
फिर भी नैनों ने दिल के सारे
 राज खोल दिए
 उनके नैनों में कुछ ऐसा जादू था
की हम उनके नैनों के समुंदर में
तैरते रह गए ,नैनों के समुंदर में
जस्बातों का सैलाब था
 दिल का हाल सब नैनों में छिपा था
बिन बोले ही नैनों ने बयां कर दिया**

*उम्मीद की पगडंडी
यूं तो इस पगडंडी ने मेरा बहुत
साथ निभाया ,आखिर थी तो कच्ची पगडंडी ही ना, पगडंडी टूट गई साथ छूट गया
वो कब से मुझे इशारों से समझता था
मैं ही नासमझ था समझ नहीं पाता था
कहता था अपनी अंतरात्मा की आवाज सुन
उम्मीद करनी है तो अपने आप से कर....
मैं तेरे साथ में हूं मगर, मुझ पर विश्वास तो कर**


*स्वतंत्रता दिवस की शुकामनाएं *





आज"स्वतंत्रता दिवस" के
 शुभ अवसर पर फिजाओं
 में खुशियों की लहर है
वातावरण में मनमोहक सी महक है
अम्बर में आजाद परिंदों की चहक है
प्रतीत होता सब और सहज है
आज वादियों में केसर की महक है
प्रतीत होता सब और माहौल
सुन्दर ,सरस,सरल,और सुगम है
सकारात्मक सोच और निस्वार्थ मोहब्बत
से फिजाओं में चुहुं और सब शुभ मंगलकारी है
बगीचों में गुलमोहर से  खिला-खिला चमन है
आकाश की ऊंचाइयों में भारत माता की शान में  विजय पताका फहराता तिरंगा गर्व से गुन-गुना रहा
भारत मेरी माता मेरा देश मेरा अभिमान है ।


*देश के प्रति सम्मान*

*सरहद पर तैनात वीर जांबाज
** सैनिकों को मेरा शत शत नमन *
यह मेरा मेरे देश के प्रति सम्मान है
मैं कोई बहुत बड़ी देश भक्त नहीं
फिर भी यह तो एक श्रद्धा है
एक भाव है ,देश के प्रति अपनत्व
की भावना है ,चन्द पंक्तियां
लिखकर स्वयं को देश भक्त
कहलाने का दावा कदापि
नहीं किया जा सकता किन्तु
कहीं ना कहीं ये आग सब में है
देश प्रेम की आग
माना कि हम सिर्फ
चन्द बातें कहकर
स्वयं में जागृत
देशभक्ति की भावना
की मशाल तो जलाए हुए हैं
स्वयं को देश भक्त समझ लेना का भ्रम ही सही
हमारी सोच सकारात्मक तो है
फिर भी एक आग तो है हममें भी
जो हमें अपने देश के बारे में सोचने
लिखने और कुछ कहने को विवश करती है  ।


*अस्तित्व मेरा समुंदर*

**पूर्ण से शून्य की यात्रा
शून्य से फिर पूर्णता की
यात्रा ,शून्य का शून्य हो जाना ही
पूर्णता की यात्रा है...

कोयले की खान से
हीरे चुन कर लाने हैं
ये जिन्दगी बारूदी
सुरंग है, संभलकर चलना ज़रा ....

बहुत भटका बूंद बनकर
अस्तित्व मेरा समुंदर था
मैं अनभिज्ञ था समुंदर ही
मुझमें था ....

भटकता फिरता हूं दुनियां
 के मेले में,स्वयं की खोज में और
स्वयं का ही अस्तित्व मिटा बैठता हूं....

आया था दुनियां के
मेले में मौज -मस्ती करने को
मेले के आकर्षण में कुछ इस
कदर खोया की घर वापिसी
 का रास्ता ही भूल गया....



*हमारी प्यारी कश्मीरा*

      आज कई वर्षों बाद दो बहनें  

बिना किसी आतंक के डर से एक दूजे के घर जाकर मिली।

काल्पनिक नाम  एक का जमुना दूसरी का *कश्मीरा* यूं तो यह सिर्फ दो ही बहने नहीं और भी कई भाई बहन हैं भरा-पूरा कुटुम्ब है  ,परंतु आज कई वर्षों के बाद जमुना अपनी बहन कश्मीरा के लिए खुश थी ।

क्योंकि जमुना और कश्मीरा आस -पास ही रहती थीं ।

 काफी समय बाद जमुना का कश्मीरा के घर जाना हुआ.....

 कश्मीरा खुश थी कि आज उसे कोई बंदिश नहीं वो अपनी बहन जमुना का अच्छे से स्वागत करेगी ,उसकी आव भगत में कोई कमी नहीं छोड़ेगी।

   जमुना:-  कश्मीरा मेरी बहन तू कैसी है कितनी सुन्दर कितनी प्यारी होती थी तुम किसी जमाने में,  क्या हालत हो गई है तुम्हारी ,मुरझा गई हो ,चलो कोई बात नहीं *देर आए दुरुस्त आए* आज तक मैं तेरे घर एक बहन होकर भी ढंग से नहीं आ पाती थी कश्मीरा आज मैं बहुत खुश हूं तेरे लिए कश्मीरा अब हम संग-संग रहेंगे एक दूसरे के दुख-सुख बांट लेंगे ,  कश्मीरा मैं जानती हूं तूने बहुत दुख सहे हैं ,ना कहीं आना ना जाना बंदिशें ही बंदिशें अब सब ठीक हो जाएगा जमुना ने कश्मीरा का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा...

    कश्मीरा:-   हां बहन जमुना आज कई वर्षों के बाद मैं खुली हवाओं में सांस ले पा रही हूं ,आज मेरे पास उड़ने को खुला आसमान है ,कल तक मैं अपने ही घर में कैद थी। 

  जमुना :-  कश्मीरा अब तो तुम खुश हो ना.....

   कश्मीरा :-   हां बहन जमुना क्यों नहीं मैं बहुत और बहुत खुश हूं ,अब मैं अपनी मर्जी से कहीं भी घूमने का सकती हूं ,और पता है बहन जमुना जब मुझ पर बंदिशें थीं ,मेरा आना -जाना तो बंद था ही... और भी कोई मेरे घर आता था तो उसके साथ बुरा व्यवहार होता था, बहुत आतंक था अभी तक मेरे घर में .....

   कश्मीरा--   लेकिन अब मुझ पर से सब बंदिशें हट चुकी हैं ,कोई भी मेरे घर आएगा तो हम सब मिलकर उसका बहुत स्वागत करेंगे ।

  जमुना :-   कश्मीरा  बातें  ही करती रहोगी ,या मुझे कुछ खिलाओगी -पिलाओगी भी...

     कश्मीरा:-   हां बहन जमुना मैं तुम्हारे लिए अभी केसर वाली बिरयानी बनाती हूं .. तब तक तुम ये  कहवा पियो ये लो आज ठंड बहुत है ये कांगड़ी भी रख लो अपने पास जमुना कांगड़ी लेते हुए कश्मीरा ज़रा ध्यान से कोयला गरम है ,ध्यान रखना 

  कश्मीरा :-   बिरयानी की तैयारी भी कर रही है ,और जमुना से बातें भी ,अच्छा जमुना ये बताओ हमारे और भाई बहन कैसे हैं ?

 जमुना:-   हां कश्मीरा सब ठीक हैं ,खूब तरक्की कर रहे हैं ,डोली ,मोली ,कोली सब आसमान की बुलंदियों को छू रहे हैं ,सब तुम्हारे बारे में बहुत चिंतित रहते थे ।

 कश्मीरा :-  हां बहन मैं समझ सकती हूं तुम मेरे इतने पास थी फिर भी हम मिल नहीं पाते थे ,तुम्हारी 

    मेरी तुम्हारी कहानी एक सी  है जमुना , पर अब हम आजाद हैं, अब हम दोनों मिलकर बहुत अच्छे -अच्छे काम करेंगे।

    कश्मीरा अपनी बहन जमुना से कह रही थी उन दोनों बहनों की आंखे नम थीं         बहन हमारी      *भारत माता* कैसी है आज वो बहुत खुश होंगी ना हां बहन बहुत खुश बहन कौन मां नहीं चाहती की उसके बच्चे आगे बड़ें ,खुश रहें ...... इतने में बहन ललिता का भी आना हो गया तीनों मिलकर बहुत खुश हुईं कहने लगीं ,कितने महान होंगे वो लोग जिन्होंने हमें आजाद किया हमें इतनी बड़ी खुशी दी  .... पता है उन महान लोगों ने हमारी मां भारत मां के सम्मान में तिरंगा भी फहराया .......

  बहन आओ हम सब मिलकर अपनी मां*भारत मां* के साथ अपनी खुशियां बांटे ,और खुशियां मनाएं ....

*भारत माता की जय* हमारी मात्रभूमि की जय जय के नारों से सारा माहौल गूंज उठा *****


आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...