“ चैन की तलाश “

        “  चैन की तलाश “

ज़िन्दगी भर भटकता रहा , चैन की तलाश में
ठहराव की चाह में , कुछ पल का चैन ,
फिर बैचेनी , ख़ुशियाँ अनगिनत ,
पर सब एक -एक कर
यादों के बक्से में बंद
कहने को सब कुछ
उसी पल का
सब नश्वर
ऐसी ज़िन्दगी
सिर्फ़ भटकाव
क्या करूँ ?
कहाँ से लाऊँ
शाश्वत सुख
कभी ना ख़त्म
होने वाला चैन
“मैं बेचैन “
तभी एक राह दिखायी दी
एक आवाज सुनायी दी
मेरा कनेक्शन परमात्मा से जुड़ा
वहाँ तो शान्ति का सागर था
अभी तो शुरुआत थी मेरी आत्मा
को असीम शान्ति का अनुभव होने लगा
अब वहाँ से आने को मन ना करा
अचानक मानो परमात्मा ने सन्देश दिया
जा औरों को भी ये राह दिखा
वो शान्ति का सागर है , दया का भण्डारहै
वहीं से तु आया है , वहीं से तुझको सब कुछ मिलेगा
तु दुनियाँ में ना भटक इस तरह
बस दुनियाँ  में जी इस तरह
तू बन जाये सबके मुस्कुराने की वजह ......  
भगवान ने दो हाथ दिये हैं , किसी के आगे फैलाते नहीं , मेहनत करते हैं गंगा किनारे बैठ फूल बेचते है , ना शिकवा करते हैं ना शिकायत ,बस दो वक़्त की रोटी के लिये दिन भर जुगाड़ करते रहते हैं ,गंगे माता का आशीर्वाद बना रहे , यूँ ही ज़िन्दगी कट जाये , बच्चे पड़ लें कुछ बन जाये बस बहुत है ....

🌺🌼🌸मेरा मीत 🌸🌸🌺🌺

 🌹🌹🌻🌻🌼🌸💐💐🌸🌸
🌺🌺“मेरा मीत , मेरा गीत ,
मेरे जीवन का संगीत
मेरे मन का मीत ,
तुम से ही मेरे जीवन का गीत
सात सुरों की सरगम मेरा मीत
मीठी धुन में जब बजता है कोई 🎼🎼
गीत , चेहरे की मुस्कराहट में दिखता है मेरा मीत “🌸🌺

🌻🌹🌸🎉🌹“प्रकृति की सुन्दरता में भी मेरा मीत
🌻🌻🌺🌺ख़ूबसूरत बहुत ख़ूबसूरत है मेरा मीत
गुलाब , चम्पा , चमेली ,कमल ...
हवाओं में ख़ुशबुओं  की तरह है 🌈
मेरा मीत .......🌟🌟✨
मेरे सुर , मेरे संगीत ,तुम मेरे
संग -संग रहना .....
मैं जाऊँगी जग जीत .....”⚡️✨🌟🌟⭐️





🌧 “मेघों ने मल्हार जब गाया”⛈

⛈⛈⛈⛈⛈⛈⛈⛈⛈⛈
 “तड़फत दिन -रैन
       बैरी मन”
  कैसी लगन लगा बैठा ये दिल
  भी बेचैन...
  हारी मैं समझा -समझा ,पर
  प्रियतम के विरह में
  बरसते दिन -रात नयन💦💦
  कहीं ना लगता मन
  पागल मन
  पलकें भी ना झपकाते नयन “
  कहीं से आ जाये उसका सजन...
  राह निहारे पल -पल नयन ...

 “ मैं द्वार पर थी खड़ी
   अचानक ,लगी सावन की झड़ी थी🌧🌧🌧🌧🌧
   आँखों में नमी थी💦💦
   दिल में कसक थी
   आकाश ने काली घटाओं की    🌫🌫
   चादर ओढ़ी थी ,
   मेघों ने मल्हार जब गाया  🌨☔️
  “ जी भर आया ....दिल का दर्द
   नयनों से बाहर आया
  आकाश भी रोया , जी भर के रोया “🌧⛈🌩🌨
   वर्षा की बौछारों में ,
   मैंने भी भिगोये , जी भर नयन
   अब दिल का बोझ हल्का हुआ
   आत्मा का आत्मा से मिलन हुआ
   बिन देखे , बिन बोले मेरा तो मिलन हुआ
   मेघों ने मल्हार जब - जब गाया   ⛈💨🎼🎼🎤🎤
   मैंने भी अपना सुर उसके सुर में मिलाया .........🌧🌨🎼🎼🌬🌩☔️☔️🎤🎤

   
 
 
 





  

🤩आँखे सच बोलती हैं 🤩

      “ आँखें ही तो हैं , जो सुन्दरता को
       पढ़ती हैं , सुन्दर - सुन्दर विचारों को
       गढ़ती हैं “
        “कवि, लेखकों की आँखें
       प्रकृति की सुन्दरता को निहारती हैं
       मन मंदिर में पनपते सुन्दर विचारों को
       सुन्दर ,प्रेरक कहानियों
       कविताओं के रूप में रचती हैं “
     
      “ आँखे बोलती नहीं
        फिर भी बहुत कुछ कहती हैं “
   
     
      “आँखें इंसान को प्राप्त
        नायाब  तोहफ़ा हैं “

     “  मैंने अपनी दोनो आँखो को
       ख़ूबसूरत देखने की आदत डाली है “

     “  लोग कहते हैं आँखे सिर्फ़ देखती है
       मैं तो कहूँगी “आँखे “पड़ती भी हैं
       आँखे ना होती तो सुन्दरता भी ना होती
       प्रकृति की सुन्दरता को निहार सुन्दर-सुन्दर
       विचार गढ़ती हैं आँखे “
     “आँखों की भी भाषा होती है ,
       आँखे बोलती हैं , कोई पढ़ने
       वाला होना चाहिये “
       आँखे सिर्फ़ देखती ही नहीं , बोलती भी है
       बस कोई आँखों की भाषा समझने वाला होना चाहिये ।

       “आप जानते हैं आँखे क्या -क्या करती हैं
       आँखें देखती हैं ,  आँखें बोलती हैं , आँखे पढ़तीं हैं ,
       आँखे रोती हैं , आँखे हँसती हैं ,आँखे डराती भी हैं
       आँखे सपने भी दिखाती हैं ........
       वास्तव में आँखे ना होती तो , मनुष्य जीवन बेरंग होता
       ख़ूबसूरत ना होता “
     

     
       

“माँ का आँचल “


“ शोर -शोर बहुत शोर था
मैं सुकून की तलाश में कहीं दूर निकल
आया था “
मैं खवाहिशों से भरमाया था
बस अब और नहीं..........
“अब अकेला बहुत अकेला था
दुनियाँ का ख़ूब झमेला था
दुनिया तो बस मेला था
मेले में हर श्क्स अकेला था “

“मैं रोया बहुत ही रोया था
उसका आँचल पकड़ मैं
जी भर सोया था ,
वो मेरी माँ का आँचल था ,
जिसमें सुकून मैंने पाया था
दुनिया का हर ग़म भुलाया था “


☔️⛈“सावन के झूले “⛈☘️🌿

   🌧🎡“सावन के झूले पड़े थे 
    मन्त्रमुग्ध सब झूल रहे थे 
   वसुन्धरा से अम्बर की ओर पींगे भर रहे थे “
   तभी .......
“अम्बर ने “वसुन्धरा”को जब निहारा 🌎
🌧मेघों से घिर गया अम्बर सारा “
मेघों ने सुन्दर - सुन्दर आकृतियाँ बनायीं ☁️⛈
जो सबके मन को लुभायीं “
बिजली भी चमकी .....
फिर छम के बरसा छम -छम के बरसा 
🌧⛈अम्बर से मेघों का बन ,वर्षा का जल सारा 
वसुन्धरा  भी प्यासी तृप्त हुईं 
हरी-भरी धरती प्रफुल्लित हुई ,
कोयल ने भी सुमधुर संगीत सुनाया 
मयूर ने भी नृत्य से मन लुभाया ।

वृक्षों की डालियों ने बाँहें फैलायी 🌴
प्रकृति ने आवाज लगायीं 
सावन की रिमझिम वर्षा है आयीं ☔️
चलो सखियों झूलन की ऋतु है आयी 
सुख -समृद्धि और सम्पन्नता का संदेशा लायी ।🎄🌴🍃🍀
धरा ने अम्बर कीओर निहारा 
और कहा तुमने तो भिगो दिया 
मेरा आँचल सारा,सुखी पड़ी धरती
को तुमने तृप्त किया ।
तुमसे ही मेरा जीवन समृद्ध हुआ 
सम्भव नहीं है , तुम बिन जीवन हमारा 
जबकि तु एक किनारा मैं एक किनारा 
हमसे ही तो सृष्टि का अस्तित्व सारा ।☔️☔️🌧







आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...