**रंगों का सामंजस्य**


    एक ख्याति प्राप्त खूबसूरत, चित्र
    जिसे देख सब मंत्रमुग्ध हो
    उसे निहार रहे थे।
    चित्र और चित्रकार की चित्रकारी
    के कसीदे पड़े जा रहे थे।
   
     चक्षुओं का क्या कहना
     नजरें गड़ाये मानों सुंदरता
     अपने में समा लेना चाहते थे
     मानों दुबारा इतनी सुंदरता देखने
      को मिले न मिले
    जिसे देख वाह!वाह!
    स्वतः ही निकल जाता हो।
 
    आप जानना नहीं चाहेंगे
     उस चित्र का चित्रकार कौन है
     उस चित्र के पीछे का सच।
   
     कोई भी चित्र यूँ ही खूबसूरत नहीं
      बन जाता है।
      कभी वो भी खाली कैनवास ,यूँ।
      बेतरबीब पड़े रंग ,कहीं रंग ,कहीं
      केनवास ,सब नीरस, अस्त, व्यस्त
     
      कभी कहीं किसी के नीरस मन में
      में उपजा एक खूबसूरत ख्याल ।
      उस ख्याल ने लगाये विचारों के पंख
      बहुत फडफ़ड़ाएं उसके पंख
      कभी इस दिशा कभी उस दिशा
       जीवन मे खूबसूरती की चाह थी
        रंगों में सामंजस्य बनाना था
         कई बार बिखरे ,मिटे ,आखिर
          कड़ी मेहनत के बाद एक खूबसूरत
           तस्वीर तैयार हुयी जो समाज के लिये
            मिसाल बन गयी
             तारीफ चित्रकारी की हुई ,चित्रकार को
               गर्वान्वित महसूस हुआ।
           
   

   



****आओ जीवन के किरदार में सुन्दर रंग भरे***                  💐                                    ************************************
 ** तन के पिंजरे में**
**  शिवशक्ति परमात्मा की
**  दिव्य जोत ***
  आत्मा से ही जीवन का अस्तित्व
  आत्मा बिन शरीर बन जाता है शव।।
  फिर क्यों न आत्मा को ही शक्तिशाली बनायें
  आत्मा को पमात्मा में स्थिर करके जीवन को
  सफ़ल बनाएं ।

  
**जीवन का सत्य ,
एक अनसुलझी पहेली
जीवन सत्य है
पर सत्य भी नहीं
पर जीवन क्या है
एक अनसुलझी पहेली ।।

**जीवन एक सराय
हम मुसाफ़िर माना कि सत्य है
सफ़र....बहुत लम्बा सफ़र ।।
सफ़र का आनन्द लो
खूबसूरत यादों को जीवन के
कैमरे में कैद कर लो अच्छी बात है ,
बस यही  साथ  जाना है ।
अच्छी यादें, माना कर्मों की खेती
जैसा बीज ,वैसी खेती ।

जीवन के रंगमंच पर भवनाओं का सैलाब
कर्मो का मायाजाल, ईर्ष्या, द्वेष, लोभ, स्वार्थ
जैसी भावनायें ,भवनाओं में उलझ जाना स्वभाविक
माना कि, सत्य,असत्य,के विवेक का भी बोध है।

कहता है शोध, जीवन है.....
आत्मा की शुद्धि का संयोग
आत्मा की शुद्धि स्वयं में हठयोग
कीचड़ में कमल की तरह खिलते रहना
कीचड़ में रहकर स्वयं को कीचड़
से बचाना ।
आधुनिकता का आकर्षण ,आकर्षण में रहना
परन्तु स्वयं को आकर्षण से बचाना,
बड़ी ही बेदर्द है, समाज की परम्पराएं.....

प्रकृति से मैंने देने का गुण सीखा,
देने वाला सदा, प्रसन्न और तृप्त रहता है ।
जहाँ कहीं भी निस्वार्थ सेवा होती है
मैंने उनके खजाने स्वयमेव भरते देखे है।
वृक्षों की भाँति अपनी शरण मे आये को
फल,फूल, शीतल वायु ,देते रहो...
दरिया की भाँति निरन्तर आगे बढ़ना

जीवन के सफ़र में संग तो कुछ जाना नहीं
तो क्यों ना कुछ ऐसा कर चलें कि
हमारे जाने के बाद भी हमारे कर्मों की
खुशबू हवाओं में रहे ,कुछ ऎसे चिन्ह छोड़ते चलते
हैं ,की दुनियां हमारे चिन्हों का अनुसरण करें ।
जीवन एक सराय ,हम मुसाफ़िर
जीवन को भरपूर जियो पर अच्छे और बुरे  विवेक के संग ।।।
आओ अपने किरदार में सुन्दर रंग भरे ।
स्वयं की लिये तो सभी जीते हैं ,
हम किसी और के जीने की वजह बन जाएं
किसी के काम आ जाएं ,स्वयं के जीवन को
दूसरों के लिए प्रेरणापुंज बनाएं ।










***आखिर कब तक**

आखिर कब तक **

बहुत हो गया चूहे बिल्ली का खेल

ये तो वही आलम है ,घर मे शेर ,बाहर गीदड़

बड़ी-बड़ी बातें करनी तो सभी को आती है

पकड़ो -पकड़ो चिल्लाने से कुछ नही होगा

हत्यारे तुम्हारे ही घरों में घुसकर तुम्हें मार रहे है ।


वाह! वाह! मरते रहो ,मरणोपरांत तुम्हे सम्मान मिलेगा

बड़े-बड़े नेता तुम्हारी मृत्यु पर राष्ट्रीय शोक मनायेंगे

बड़ी-बड़ी योजनाएं बनेगी ,आतंकवादी यों को जड़ से मिटाने की

तुम्हारे नाम पर तुम्हारे परिवार वालों को सहायता राशी भी मिलेगी।


बस-बस-बस बस करो क्यों अपने ही देश की जड़ों को खोखला कर रहे हो ।

अब बातें करने का समय बीत गया है ,कहते भी हैं जो *लातों के भूत
होते है वो बातों से नही मानते *

तुम्हारी सादगी को तुम्हारी शराफ़त को तुम्हारी कमजोरी समझ
आँकवादी तुम पर वार-वार कर रहे है ।

आखिर कब तक कितने माँ के लाल शहीद होंगे ,

घर के भेदी अब ना बचने पायें।

उठाओ बंदूके निशाना साधो ,एक एक आतंकवादी का
अब करना है सफाया ।

☺शिक्षा और सभ्यता ☺


☺**शिक्षा, सभ्यता ,और आधुनिकता,
शिक्षा है, तो सभ्यता आयी ,सभ्यता आयी तो आधुनिकता बड़ी।।*
☺आज की युवा पीढ़ी शिक्षित हुयी
शिक्षा के संग सभ्यता आना स्वभाविक है
उत्तम संजोग है ,सभ्यता ,तरक्की,और उन्न्ति की ऊँचाइयाँ छूना ।👍
क्या सभ्यता ,सिर्फ अत्यधिक धनोपार्जन और ब्रेंडड
वस्त्रों तक सीमित है ।
आधुनिकता की दौड़ में सब दौड़ रहे है
 लाभ के लोभ में ,संस्कारों की हानि का कोई 
खेद नहीं।।

💐सभ्यता के सही मायने ही नहीं ज्ञात 
अत्यधिक धनोपार्जन करना ही ,मात्र 
तरक्की का सूचक नहीं ।☺
वातानुकूलित कक्ष में बैठकर कोट,पेन्ट,टाई पहनकर 
रौब दार रवैया अपनाने को ही ,
आधुनिकता ,और सभ्यता की पहचान माना जाने लगा है
हाँ सत्य है सुविधाएं बढ़ना प्रग्रति का सूचक है ।
परन्तु सुविधाओं की आड़ में आधुनिकता
के प्रदर्शन में अपनी संस्कृति को भूल जाना
छोटों को प्यार,स्नेह,बड़ों का आदर करना भूल जाना
ऐसी सभ्यता किस काम की ।
सभ्यता यानि ,आचरण की सभ्यता ,
विचारों की विनम्रता ,शिक्षा और सभ्यता एक दूसरे के पूरक हैं ,सच्ची शिक्षा तभी सार्थक है ,जब वह सभ्य आचरण के साथ फलती फूलती है ।।
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*****स्वयं का नेतृत्व ****

 💐💐   कौन किस के हक की बात करता है
    अपने कर्मों की खेती स्वयं ही करनी पड़ती है
    स्वयं ही स्वयं को प्रोत्साहित करना पड़ता है
    काफिले में सर्वप्रथम तुम्हें अकेले ही चलना       पड़ेगा
     जीत तो उसी की होती है ,जो स्वयं ही स्वयं का
     नेतृत्व करता है।💐💐

** मैंने उस वक्त चलना शुरू किया था
     जब सब दरवाजे बंद थे ,
     पर मैं हार मानने वालों में से कहाँ था
     कई आये चले गए ,सब दरवाजे बंद है
     कहकर मुझे भी लौट जाने की सलाह दी गयी ।पर ,

     मैं था जिद्दी ,सोचा यहां से वापिस नहीं लौटूंगा
     टकटकी लगाये दिन-रात दरवाजा खुलने के इन्तजार
    मैं पलके झपकाए बिना बैठा रहता ,
    बहुतों से सुना था,यह दरवाजा सालों से नही खुला है ,
    पर मेरी जिद्द भी बहुत जिद्दी थी ।

   एक दिन जोरों की तूफ़ान आने लगा ,आँधियाँ चलने लगी
    मेरी उम्मीद ए जिद्द थोड़ी-थोड़ी कमजोर पड़ने लगी
   पर टूटी नहीं ,नजर तो दरवाजे पर थी
   तीर कमान में तैयार था , अचानक तेज हवा का झौंका   आया मेरे चक्षुओं में कोई कंकड़ चला गया ,
   इधर आँख में कंकड़ था , उधर आँधी से जरा सा
 दरवाजा खुला ।
😢
   आँख कंकड़ से जख्मी थी ,पर मैंने निशाना साधा मेरा तीर
   दरवाज़ा खुलते ही लग गया ,जीत मेरी जिद्द की थी  या मेरे विश्वास की जीत हुई मेरे संयम की ।

  इरादे अगर मजबूत हों और स्वयं पर विश्वास हो और आपके
  कर्म नेक हों तो दुनियाँ की कोई ताकत आपको जीतने से रोक नहीं सकती ।
कोई भी रास्ता आसान नही होता ,
उसे आसान बनाना पड़ता है ,अपने
नेक इरादों सच्ची मेहनत लगन , निष्ठा और संयम से ।

**आभार ब्लॉग जगत **

**आभार ब्लॉग जगत **

**मकसद था कुछ करूं,
मेरी दहलीज जहां तक थी वहीं तक जाना था 
,करना था कुछ ऐसा जो उपयोगी हो कल्याण कारी हो ,
जिसकी छाप मेरे दुनियाँ से चले जाने के बाद भी रहे ,
बाल्यकाल में महान लेखकों की लेखनी ने प्रभवित  किया 
देश की आज़ादी के किस्से वीर शहीदों के किस्से आत्मा को झकजोर देते।
दायरा जहां तक सीमित था 
लिखकर अपनी बात कहनी शुरू की , यूँ तो किसी का लिखना कौन पड़ता है ,पर फिर भी लिखना शुरू किया ।
धन्यवाद ब्लॉग जगत का ।
आज लिखने को खुली ज़मीन है ।
आसमान की ऊँचाइयाँ है , क्या सौभाग्य है 
परमात्मा ने स्वयं हम लेखकों की सुनी शायद ।
आज ब्लाग जगत के माध्यम से लेखक भी सम्मानित होने लगे ।
** क्या छिपा रहे हो ****   {कविता }

   * क्या छिपा रहे हो
   * कितना छिपाओगे
    *लाख छुपाओगे उजाले को
     💐उजाला किसी झिर्री से बाहर आ ही जायेगा
    💐💐💐💐💐💐
    *जो सच है ,सामने आ ही जाता है
** श्वेत मेघों की ओट में
   वो छुपा बैठा था सच
   बना-बना कर विभिन्न
   आकृतियाँ मोहित कर
   रहा था सभी को ।

  💐 आसमान की ऊँचाइयाँ
   पर जा -जाकर इतरा रहा था।
   उसी में सच्चाई दिखा
   दिल लुभा रहा था   ।

  💐 सुना था सच सामने आ ही जाता है
   अचानक तेज आँधियाँ चली
   सब अस्त-व्यस्त ।
   श्वेत मेघों का पर्दा हटा
   हो गया सब पानी-पानी ।
 
  शाश्वत था जो वो सामने आ गया
  लाख छुपा सत्य विभिन्न आकृतियों
  वाले श्वेत ,काले ,घने ,मेघों की ओट में ।**💐💐

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...