किस्मत की  छड़ी 
 सुन्दर सभ्य स्वर्ग तुल्य समाज की चाह रही है. 
 परीक्षाफल की समीप घडी है,
वोटरों के हाथ नेताओं की किस्मत की छड़ी है ,
रजनीतिञ कुर्सियों की दिल की की धड़कन बड़ी है।
   
अड़चन बड़ी है,कौन होगा मेरा  सही उम्मीदवार ,
बेसब्री से हो रहा इंतजार 
कुर्सी की तो बस इतनी सी चाह है 
जो हो मेरा उम्मीदवार
वो हो ईमानदार,वफादार  

अपनी तो सभी करते है नैय्यापार,
पर नेता वही जो स्वार्थ  से ऊपर उठकर करे देश का करे  उद्धार। 
 भाईचारा,परस्पर प्रेम हो जिसका व्यवहार ,
सुन्दर सभ्य स्वर्ग तुल्य समाज का हमारा सपना हो साकार।  
   क्योंकि है,अप्रैल फूल  
एक झाड़ू कि लगी थी फैक्ट्री,
हो गई उसके साथ एक बड़ी ट्रेजेडी, 
भ्रष्टचार के कीचड़ को साफ़ करने को ज्यों झाड़ू उठाई,
सभी कि आफत बन आई,
सबसे पहेले कमल को चिंता सताई,
कीचड़ मैं ही कमल का घर,
हाथ भी कीचड़ मैं तर। 
बीच मझदार मैं झाड़ू कि नैय्या डुबाई।
कीचड़ मैं भर-भर के हाथ खिल रहे थे कमल के फूल। 
हाथी ने दहाड़ मरी,
उड़ाते हुए मस्ती मैं धूल सारी ,
कीचड़ ही कीचड़ दुनिया सारी,
तभी हाथी के हाथ आ गया,एक फूल जिसका नाम था.…… 
      अप्रैल फूल। 
माफ़ करना हो गई हो जो भूल,
 क्योंकि है अप्रैल फूल। 
                          ''कहतें हैं,ना देर आये दूरस्थ आये''
                                             

                                                  """""बस थोडा सा प्रोत्साहन"""""

सफलता और असफ़लता जीवन के दो पहलू हैं। एक ने अपने जीवन में सफलता का भरपूर स्वाद चखा है उसकी सफलता का श्रेय सच्ची लगन ,मेहनत ,दृढ़ -इचछाशक्ति ,उसका अपने कार्य के प्रति पूर्ण- निष्ठां व् उसके विषय का पूर्ण ज्ञान का होना था। और उसके व्यक्तित्व में उसकी सफलता के आत्मविश्वास की छाप भर -पूर थी। वहीं दूसरी तरफ़ दूसरा वयक्ति जो हर बार सफलता से कुछ ही कदम दूरी पर रह जाता है ,उसके आत्म विश्वास के तो क्या कहने, परिवार व् समाज के ताने अपशब्द निक्क्मा ,नक्कारा ,न जाने कितने शब्द जो कानों चीरते हुए आत्मा में चोट करते हुए ,नासूर बन दुःख के  सिवा कुछ नहीं देते।
उसे कोई चाहिये था जो उसके आत्म विशवास को बड़ा सके,  उसे उसके विषय का पूर्ण  ज्ञान प्राप्त करने में सहायता करवाये । जीवन  में आने वाले उतार -चढ़ाव कि पूरी जानकारी दें ,और सचेत रहने की भी पूरी जानकारी दे। उसे  सरलता का भी   महत्व  भी  समझाया       गया  ,सरलता का मतलब मूर्खता कदापि नहीं है। सरलता  का तातपर्य निर्द्वेषता  ,किसी का अहित न  करने का भाव है। अकास्मात मुझे ज्ञात हुआ , कि किसी का आत्मविश्वास  को बढ़ाना ,बस थोडा सा प्रोत्साहन देना टॉनिक का काम करता है , और यही  सच्ची सफलता  के भी  लक्षण है। अपनी सफलता  से तो सभी खुश होते हैं ,परन्तु  किसी को  सफलता कि और  आगे बढ़ाने में सहायता  करना भी  सच्ची सफलता के लक्षण  हैं। बस थोड़ा सा  प्रोत्साहन का  टॉनिक  और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।अपने विषय का पूर्ण ज्ञान होने पर  आत्मविश्वास की जड़े मजबूत  होती हैं ,तब दुनियाँ कि कोई भी आँधी आपकी सफलता में बाधक  नहीं बन  सकती।

       ''चुनाव  नेताओं का ''

ज्यों  परिक्षा से पहले की मेहनत अधिक रंग लाती है ,
त्यों चुनाव से पहले की मेहनत अधिक रंग लाती  है। 

  चुनाव से पहले हर एक नेता देशभक्त नज़र आता है। 
खिले -खिले मुस्कराते चेहरे ,बड़े- बड़े वादे ,सर्वांगीण 
विकास ,सबको सामान अधिकार ,मनोवांछित फल ,
का आश्वासन देते ,  नेता भी देवता नज़र आते हैं। 

एक -एक वोटर को चुनकर अपने हक़ में करना है ,
क्योंकि चुनाव से पहले की मेहनत काम आती है। 
बेचारी जनता हर बार धोखा खा जाती है ,
जो जनता चुनाव से पहले नेताओं का सहारा होती है ,
वही जनता नेताओँ को राजनीती कि कुर्सी मिल जाने पर ,
 सवयं बेसहारा हो जाती है। 

चुनाव आते हैं 'जाते हैं ,सिलसिला चलता रहता है 
नेताओं कि तरक्की होती है,जनता वहीँ कि वहीँ रह जाती है। 
जंहाँ जीत के जश्न में नेताओ को मिलती है दिली ख़ुशी,
वंही जनता की बन जाती है भीगी-बिल्ली।  
नारी असतित्व

मैं हूँ प्रभु का फरिशता,
मुझसे है,हर प्राणी का दिली रिश्ता,
मुझमें समता,मुझमें ममता,
मैं नारी ह्रदय से कोमल हूँ।
फूलो सा जीवन है मेरा,
काँटों के बीच भी खिलखीलाती हूँ।
मुझसे ही खिलता हर बाग का फूल,
कभी-कभी चुभ जाते है मुझे शूल।
मैं नारी हूँ,
मुझसे  ही  असतित्व,
मुझे से ही व्यक्तित्व,
फिर भी पूछे मुझसे पहचान मेरी,
मुझसे ही है ए जगत शान तेरी,
फिर भी तेरे ही हाथों बिकी है,
आन मेरी।
हर पल अग्नि-परिक्षाए देती हूँ,
मैं ममता की  देवी हूँ,
 हर-पल स्नेह लुटाती हूँ,
मैं नारी हूँ,नहीं बेचारी हूँ, 
करती जगत कि रखवाली हूँ। 
                ''सवर्ग और नरक '' ''अनमोल वचन ''
दादी और पोते   का लाड़ प्यार उनकी खट्टी  -मीठी  बातें ही  मानो  कहानियों  का रूप  ले  लेती हैं।
 
 एक बार  एक  पोता  अपनी  दादी से  पूछता  है ,कि दादी  आप  जब मुझे कहानी  सुनाती हो ,उसमे स्वर्ग  की बाते करते हो ,क्या  , स्वर्ग बहुत सुंदर है।   दादी स्वर्ग  कहाँ है /   ?     क्या हम जीते  जी  स्वर्ग नहीं  जा सकते ?

     दादी  अपने  पोते    कि बात सुनकर  कहती है बेटा , स्वर्ग  हम  चाहें  तो  अपने कर्मों  द्वारा इस धरती  को स्वर्ग बना  सकते हैं।

पोता  अपनी  दादी से कहता है   इस धरती को स्वर्ग  वो  कैसे ,  दादी कहती है है ,   बेटा  भगवान ने जब हमें इस धरती  पर  भेजा  ,तो खाली  हाथ  नहीं भेजा  . ,भगवा न ने हमें प्रकृति  कि अनमोल  सम्पदाएँ  ये हवाएँ , नदियाँ , पर्वत ,आदि  दिए अन्य सम्पदाएँ   सूरज ,  चाँद , सितारें  न  जाने क्या -क्या  दिया।

  दूसरी ओर  भगवान ने हमें अ आत्मा कि शुद्धि के लिए  भी  कई रत्न  दिए ,लेकिन बेटा   वह रत्न अदृश्य हैं।  तुम्हे मालूम  है कि वह  रत्न कौन से  हैं ,  

पोता  कहता  है,  नहीं दादी  वह  रत्न  कौन  से हैं, मुझे नहीं  मालूम ,

   दादी कहती है , वह  रत्न  हैं   हमारी भावनाएँ  ,सबसे बड़ा  रत्न हैं ,     '' प्रेम '' जब प्रत्येक  प्राणी का प्रत्येक  प्राणी  से प्रेम होगा ,तो दुःख  कि कोई बात  ही नहीं  होगी। अन्य  रत्न हैं प्रेम ,दया ,क्षमा ,सहनशीलता  समता ये  सब हमारी आत्मा  के रत्न  हैं।

छोटा -बड़ा  तेरा मेरा इन  भावनाओं को अपनी  आत्मा  से निकल  फेंकना होगा , अनजाने में हुई  किसी कि गलती को माफ़  करना होगा।    

बेटा    भगवान ने इस धरती  का  निर्माण  किया  पर इंसानो ने  अपने  बुरे कर्मों द्वारा  इस धरती का हाल बुरा  कर दिया है  ,
  पोता  दादी कि बातें सुनकर  कहता है  दादी मै  बनाऊगा  इस धरती को ' स्वर्ग '  मै   इस धरती से  तेरा -मेरा  का भाव  मिटा दूँगा  दादी मै अपनी  आत्मा  में  छिपे और  प्रत्येक  प्राणी  कि आत्मा  में छिपे  सुंदर रत्नों   की  पहचान  उन्हें  कराऊंगा  . त्याग ,दया  क्षमा ,प्रेम  आदि  ही आज  से  मेरे  आभूषण  हैं ,मैं इन  सुंदर  रत्नो से स्व्यम  को  सजाऊंगा।  इस  धरती को  स्वर्ग  बनाऊँगा। .

 ''कुछ तो लोग कहेंगे ''


जब ज़िंदगी के कैनवास के रंग लगने लगे 
बेरंग--------
उसी क्षण  बदल  लेना अपने  जीवन जीने  का ढंग ,
उदासियों  का न  करना  कभी  संग ,
उदासियों  के कोहरे को  चीरते  हुए  आगे निकल जाना। 

 माना  कि जीवन है ,'जंग '
फिर भी  जीवन  के हैं कई  रंग। 
दिल कि  सुनना ,
कुछ  तो  लोग कहेंगे , लोगों का ,काम  है कहना। '
रँग बिरंगे रंगो  से जीवन सजा लेना ,

परस्पर प्रेम  का दीप  जला लेना ,
उम्मीद कि नई किरण ढूंढ लेना ,
किरण जो ले जाए उजाले कि ओर,
तुम्हें रोशन  करे और  सारे  जहाँ को रोशन कर जाए। 

जिंदगी  की जंग  में ,जगा के नई  उमंग। 
खुशियों  के संग ,जब होगी नई तरंग। 
तब होगा जीवन का शुभ आरम्भ।    

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...