मोहब्बत किसी भी मनुष्य का मूल स्वभाव है "


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"मैं मोहब्बत हूँ
किसी भी मनुष्य का मूल स्वभाव हूँ "

मैं मोहब्बत जीती हूँ 😍
एहसासों में ,जज़्बातों में

मोहब्बत का कोई मजहब नहीं
मोहब्बत तो हर दिल की भाषा है ❤️
शब्द नहीं ,अर्थ नहीं ,
निस्वार्थ समर्पण है
दुआओं में ,दर्द में
क्रन्दन में ,क्रोध में
उम्र का बन्धन नहीं
रिश्तों की मोहताज नहीं
उपहार नहीं ,व्यापार नहीं
भावों में जज़्बातों में
मैं मोहब्बत हूँ ,मैं किसी भी
मनुष्य का मूल स्वभाव हूँ
मोहब्बत से ही सींचित
प्रफुल्लित रचना रचता संसार है
विश्व कौटुमबकम का पढ़ाता पाठ हूँ
मैं वो गीत हूँ ,जिसे हर कोई गुनगुनाता है
साज अलग हैं , परन्तु सुरों पर सजते गीतों के
मक़सद वही हैं , बोलना हर कोई चाहता
मोहब्बत की भाषा है ।
साजों-साज से प्रवाहित तरंगों का
मक़सद मोहब्बत है ।
जीवन की दौड़ में मोहब्बत वो दवा है
जो हर रिश्ते पर मरहम लगा उसको सवाँरती है ।

मोहब्बत ही तो हर मनुष्य का वास्तविक स्वभाव है ।






 
   

6 टिप्‍पणियां:

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